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घोर पूंजीवाद की ओर बढ़ रहे देश में खत्म हो रहा लोकतंत्र व समाजवाद: राणा
Dec 30, 2020 17:35 | Poltics
देश की बड़ी आबादी को अब बैंकों से भी नहीं मिल रहा कर्जा
हमीरपुर : 30 दिसंबर
देश लगातार घोर पूंजीवाद की ओर बढ़ रहा है जिसमें लोकतंत्र निरंतर खत्म होता जा रहा है। सरकार सत्ता शक्ति के दम पर अडानी और अंबानी के सम्राज्य को मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रही है। किसान अपने हकों के लिए सड़क पर कडाके की ढंड में ठिठुर मर रहे हैं लेकिन बेदर्द सरकार किसानों की बात सुनने के बजाए अडानी और अंबानी की वकालत में लगी है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कही है। राणा ने कहा कि देश की लगातार डूब रही जीडीपी के बीच अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। राज्य सरकारें लगातार कर्जे के पहाड़ के नीचे दबती जा रही हैं। बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ती हुई 27 फीसदी से ऊपर पहुंच चुकी है। देश का बुनियादी ढांचा चरमरा चुका है। अकेले पर्यटन क्षेत्र को 15 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। 5 लाख करोड़ से ज्यादा नुकसान घरेलू पर्यटन क्षेत्र में हुआ है। उद्योग जगत व विनिर्माण सेवा क्षेत्र धड़ाम हैं। केंद्र से लेकर राज्य तक बीजेपी सरकारें जनता से नित नया झूठ बोलकर अपनी सत्ता के संरक्षण में लगी है। महामारी ने उद्योगों और कामकाज पर न केवल ब्रेक लगाई है बल्कि उसे रिवर्स गेयर में डाल दिया है। राणा ने कहा कि यह सब बदहाल सूरत बीजेपी सरकारों के कुप्रबंधन व कुशाषण के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश फिसल कर छठे पायदान पर जा पहुंचा है। ऐसे में देश को घोर पूंजीवाद को लगातार बढ़ा रही बीजेपी के राज में बीजेपी सरकार की नजर अब जनता की जमा पूंजी पर है। सरकार अगर सत्ता बल का दुप्रयोग करके अब जनता की जमा पूंजी को भी हड़पने का कोई तौर तरीका निकाल ले तो कोई हैरानी नहीं होगी। राणा ने कहा कि बड़े कारपोर्टेर घरानों को लाभ अनावश्यक अनावांछित लाभ देने के चक्कर में देश की बैंकिंग प्रणाली को सरकार एक तरह से खत्म करने में लगी है। शायद यही कारण है कि 1971 में बैंकों का जो राष्ट्रीयकरण कांग्रेस सरकार ने किया था, उसका लाभ जनता के बजाए कारपोर्टेर घरानों को ज्यादा मिल रहा है। इसी कारण से देश की अर्थव्यवस्था दो भागों में बंट कर रह गई है जिसमें एक बड़ा हिस्सा बड़े कारपोर्टेर घरानों का हो चुका है और इसी हिस्से को अब बैंक कर्ज की सुविधा दे रहे हैं जबकि बैंकिंग के नाम पर देश के करीब 123 करोड़ नागरिक कठिन परिस्थिति में हैं। सरकार कह रही है कि बैंकिंग सिस्टम में मजबूती आ रही है लेकिन इस मजबूती का लाभ देश के सिर्फ 10 करोड़ लोगों को ही मिल पा रहा है, जिनके लिए सरकार काम कर रही है। अगर ऐसा ही रहा तो देश एक बार फिर साहूकार सिस्टम के हवाले हो जाएगा जोकि चिंता का विषय है।