एकादशी व्रत और पुत्रदा एकादशी, एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?

एकादशी व्रत और पुत्रदा एकादशी, एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?

एकादशी व्रत क्यों

जो तीसों दिन खाना खाते हैं वे जल्दी बूढ़े होते हैं और बीमारियों के घर हो जाते हैं । हफ्ते में एक दिन व्रत रखें, नहीं तो १५ दिन में के बार एकादशी का व्रत अवश्य रखना ही चाहिए । लेकिन बूढ़े, बालक, गर्भिणी, प्रसुतिवाली महिला तथा जिनको मधुमेह है, जो अति कमजोर हैं वे व्रत न रखें तो चल जायेगा । अथवा कोई कमजोर है और व्रत रखता है तो फिर वह किशमिश खाये । यदि उपवास नहीं करना है तो चने और किशमिश या काली द्राक्ष खायें ।

 

पुत्रदा एकादशी – 02 जनवरी 2023

एकादशी 01 जनवरी शाम 07:12 से 02 जनवरी रात्रि 08:23 तक है ।

 

एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?

 

1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।

2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।

हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।

एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।

4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।

5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।

6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) – इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें ।

7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।

8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।

9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।

10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।

11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।

 

12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।

13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।

14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।

 

पौष पुत्रदा एकादशी

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन संतान प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को जीवन भर सुख की प्राप्ति होती है और जीवन उपरांत मोक्ष मिलता है।

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का माना जाता है। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होती है, धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। मनोरोग जैसी समस्याएं भी इससे दूर होती हैं। पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहलाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पौष मास की एकादशी बड़ी ही फलदायी मानी जाती है। इस उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है। नए साल में पौष पुत्रदा एकादशी 02 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को जीवन भर सुख की प्राप्ति होती है और जीवन उपरांत मोक्ष मिलता है।

 

पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

उदयातिथि के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी नए साल में 02 जनवरी 2023 को ही मनाई जाएगी। पौष पुत्रदा एकादशी की शुरुआत 01 जनवरी 2023 को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 02 जनवरी 2023 को शाम 08 बजकर 23 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 03 जनवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

 

 

पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत रखने से एक दिन पहले भक्तों को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा व्रती महिला या पुरुष को संयमित और ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। अगले दिन व्रत शुरू करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें, और भगवान विष्णु का ध्यान करें। गंगाजल, तुलसीदल, फूल, पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें। पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाली महिला या पुरुष निर्जला व्रत करें। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो शाम को दीपक जलाने के बाद फलाहार कर सकते हैं। व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी ब्राह्मण व्यक्ति या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं, और दान दक्षिणा दें। उसके बाद ही व्रत का पारण करें।

 

 

संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पति-पत्नी एक साथ भगवान श्री कृष्ण की उपासना करें। बाल गोपाल को लाल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।

2. पति-पत्नी संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।

3. मंत्र का जाप करने और पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

4. जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें और भोजन कराएं।

 

 

पौष पुत्रदा एकादशी कथा

किसी समय भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को चले गये। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया लेकिन उसी समय राजा को यह बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है। अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिये और वे उसी दिशा में बढ़ते चलें। साधुओं के पास पहुंचने पर उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व का पता चला। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बढ़ने लगा। वे दंपती जो निःसंतान हैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

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