
एकादशी
- Dharam/Aastha
- June 11, 2022
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एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करे ।
स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम पाठ करें ।
हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l
राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।
चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।
एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाएं । इस दिन फल आहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।
व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) – इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें ।
फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।
जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।
भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।
एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
इस दिन बाल नहीं कटायें ।
इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।
एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1बजे तक) ।
जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।
इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।