पंजाबी में भी लगाएं जाए जलियांवाला बाग में शिलालेख, विक्रमजीत साहनी
- Anya KhabrenHindi News
- August 23, 2022
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विक्रमजीत साहनी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा पंजाबी में भी लगाएं जाए जलियांवाला बाग में शिलालेख
अमृतसर, ( राहुल सोनी )
पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने मंगलवार को जलियांवाला बाग में श्रद्धांजलि अर्पित की जहां 1919 में जनरल डायर द्वारा क्रूर एवं अंधाधुंध गोलीबारी में हजारों पंजाबी शहीद हो गए थे। अपने दौरे के दौरान श्री साहनी ने जलियांवाला बाग में कई त्रुटियां पाई एवं बाग के अग्रभाग के लिए निराशा व्यक्त की, जो लोहे की चादरों से ढका हुआ है और बाग के प्रवेश द्वार को छुपाता है । वहीं बाग की ओर जाने वाले संकरे रास्ते से जहां से जनरल डायर ने सेना के साथ प्रवेश किया था, वह नानक शाही ईंटो से बना हुआ था जिन्हें अब प्लास्टर कर दिया गया है। श्री साहनी ने कहा कि हमें अपनी विरासत को उसी रूप में संरक्षित करना चाहिए जैसे वह तत्कालीन स्थिति में थी और स्मारक के ऐतिहासिक प्रवेश द्वार को नहीं बदलना चाहिए। विक्रम साहनी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जलियांवाला बाग ट्रस्ट के सदस्यों से जलियांवाला बाग की विरासत को बहाल करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने आगे कहा कि एक छोटी बुर्जी जो उस जगह की याद थी जहां से जनरल डायर ने फायरिंग का आदेश दिया था, को नष्ट कर दिया गया है की बजाय एक संगमरमर की पट्टिका लगाई गई है जो कई आगंतुकों को दिखाई भी नहीं देती। श्री साहनी ने अपने पत्र में विशेष रूप से कहा की “यह देखना विडंबना है कि बाग में स्वतंत्रता सेनानियों के सभी उदारहण अंग्रेजी व हिंदी में लिखे गए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें पंजाबी में भी लिखा जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसे पढ़ सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि अमर जवान ज्योति जो बाग के बीच में थी उसे एक कोने में शिफ्ट कर दिया गया है । विक्रम साहनी द्वारा यह भी अपील की गई की जिस घातक कुएं में सैकड़ों महिलाओं ने छलांग लगाई थी, उसमें फेंके गए नोटों और सिक्कों के रूप में भारी धन को एक दान पेटी में एकत्र किया जाना चाहिए और यह पैसा गरीब लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए।
श्री साहनी ने आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री इन सभी सुझावों पर गौर करेंगे और इन विसंगतियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए एक व्यापक समिति का गठन करेंगे।