भारतीय संसद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारतीय संसद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारतीय संसद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारतीय संसद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य 20वीं सदी के शुरुआत से लेकर आज के दिन तक बेहद महत्वपूर्ण और रोचक है। इस संदर्भ में, हम संसद भवन के कुछ महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे, जो भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटक हैं।

1911 में भारतीय राज्यों की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली में स्थानांतरित करने का ऐलान किया गया था, जिसका परिणामस्वरूप दिल्ली में नए संसद भवन की आवश्यकता हुई। इस कार्य के लिए ब्रिटेन के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट्स एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर को जिम्मा मिला। 12 फरवरी 1921 को नए संसद भवन की नींव रखी गई और 1927 में यह तैयार हो गया, जिसे 18 फरवरी 1927 को लॉर्ड इरविन ने उद्घाटन किया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, संसद भवन गैर सिद्धांतिक और महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा। 1947 में, भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई और 14 अगस्त को पहली बार इस संसद भवन में संविधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया। इस सत्र के दौरान, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने मशहूर “tryst with destiny” भाषण किया, जो भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोमेंट का प्रतीक बन गया।

संसद भवन में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटनाएं भी घटीं, जैसे कि 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन के द्वारा दिल्ली को लाल गेंहू भेजने की धमकी और भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा एक वक्त का भोजन न करने का ऐलान।


1911 से भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था, जिसके बाद संसद भवन का निर्माण आरंभ हुआ। ब्रिटेन के प्रमुख आर्किटेक्ट एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर को इसके निर्माण का काम सौंपा गया। 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की नींव रखी गई और 1927 में इसे 83 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया। यह भवन 18 फरवरी 1927 को लॉर्ड इरविन द्वारा उद्घाटनित किया गया।

इस संसद भवन में भारत के सबसे महत्वपूर्ण इतिहासिक घटनाओं में से कई घटनाएं घटीं हैं। 1947 में भारत की आजादी के मौके पर संसद भवन में संविधान सभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया था, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रस्तावना भाषण में “tryst with destiny” की बात की थी।

संसद भवन के इस स्थल पर 1971 में पाकिस्तान के सरेंडर का हिस्सा बना, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना शर्त सरेंडर किया।

संसद भवन में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए, जैसे कि एक देश एक टैक्स का इस्तेमाल करके वस्त्र और सेवाओं पर जीएसटी को लागू करने का निर्णय, अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का निर्णय, और उत्तराखंड, सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे नए राज्यों का गठन।

संसद भवन के इस इतिहास से कई महत्वपूर्ण घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जो भारतीय इतिहास का हिस्सा बनी हैं।

पुराने संसद भवन ने भारत के इतिहास में कई ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं:

  • 1929: भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सदन में बम फेंका।
  • 1947: संविधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया और जवाहरलाल नेहरू ने “ट्रायस्ट विद डेस्टिनी” भाषण दिया।
  • 1965: लाल बहादुर शास्त्री ने एक हफ्ते में एक वक्त का भोजन न करने की घोषणा की।
  • 1971: इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण की घोषणा की।
  • 1975: इमरजेंसी की घोषणा की गई।
  • 1996: अटल बिहारी वाजपेयी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपना इस्तीफा दिया।
  • 1974: भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया।
  • 1998: भारत ने परमाणु हथियारों की क्षमता की घोषणा की।
  • 2001: संसद पर आतंकवादी हमला हुआ।

1971 में, संसद भवन देश के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण संघर्ष के तहत था, जब बांग्लादेश में पाकिस्तान के खिलाफ जंग के बाद पाकिस्तान के सैनिकों ने हार मान ली और तिरंगा लहराने के बाद संसद भवन में विजयी घोषणा की थी।

संसद भवन के इस महत्वपूर्ण स्थल पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक घटनाएं हुईं हैं, जिन्होंने भारतीय इतिहास को साक्षर किया है। इसके साथ ही, संसद भवन ने भारतीय संविधान के संरचना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण स्थान रखा है।

इसके अलावा, संसद भवन का निर्माण और विकास भारतीय राजनीति के विकास के प्रतीक के रूप में है, जो विभिन्न समयों में देश की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ जुड़ा है।

आजके दिन, संसद भवन ने भारतीय लोकतंत्र के स्थान के रूप में अपनी स्थापना बना रखी है और यह एक महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में काम करता है, जिसमें देश की सार्वभौमिक सुरक्षा और विकास के लिए निर्णय लिए जाते हैं। संसद भवन का यह महत्वपूर्ण स्थान हमारे देश के समृद्धि और सामाजिक सुधार की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भारतीय राजनीति और संविधान के निर्माण में अपनी जगह बनाई है।

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