माघा साजा या सग्रांद हिमाचल का एक मुख्य त्यौहार है
- Aap ke LiyeHindi NewsSHIMLA
- January 14, 2023
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मकर संक्रांति की आपको और सभी प्रदेश वासियों को एक बार फिरसे ढेर सारी शुभेच्छायें
ध्रुव शर्मा
माघ महिना धर्म मास के रूप में जाना जाता है! मकर संक्रांति के विभिन्न रूप और रंग आपको यहाँ देखने को मिलेंगे! बात करें आउटर सराज और रामपुर क्षेत्रों की तो यह पर्व यहाँ पुरे माह चलता है, यह स्थानीय देव स्वर्ग प्रवास का वक्त होता है जब देवता स्वर्ग में राजा इंद्र के दरबार जाते है और देव दानव युद्ध में हिस्सेदारी निभाते हैं! इसके अलावा जाईंयों (घर की बेटीयों) के मायके/ननिहाल आने का भी यह शुभ माह है! माधा साजा ,लोह्डले आगवे, बड़े आगवें और साजे के तीन दिन के त्योहार का मेल है, इस दिन प्रात: काल ब्रह्म महुरत में उठकर स्नान आदी से निवृत्त होकर धोती और घाघरे पहन कर तैलीय पकवान बनाये जाते है जैसे पकैन-पोलडु, बढ़े, शाकड़ी, मालपुये इत्यादि! पाजे के पत्ते और छोटी टहनीयां तोड़कर रख ली जाती है घर के पुजा स्थल और गांव के मंदिर में देव प्रतिमाओं को स्नान कराया जाता है, उन्हें छशण (घी की मालिश) लगाया जाता हैं, सिंदूर से मुर्तियो को रंग के धुप दिप नैवेद्य समर्पित करके अपने स्थान पर रख दिया जाता है और पाजे से ढक दिया जाता है, यह उनके स्वर्ग प्रवास का प्रतीक है! सुबह ही कुल पुरोहित आकर हूम-हवन करते हैं, उन्हें वस्त्र और खिचड़ी (चावल माश घी हल्दी नमक इत्यादि का नशराव) और दक्षिणा दी जाती है, फिर घर की जाईंयों का भोजन (मघोजी) होता है जो जाईंया घर आती है उन्हें खिचड़ी, पकैन-पोलडु, मालपुये, बढ़े इत्यादि वही दिये जाते है बाकियों के घर प्रशाद के रूप में 6-10-12 के यानि जोड़े(नोटी)के रूप में यह सब चीज़े पहुंचाई जाती हैं! देवताओ के स्वर्ग प्रवास से वापसी के अलग दिन है कोई सतरेणे (सात दिन), कोई पंदरेणे (15 दिन बाद) तो कोई माह (मघनाऊण) बाद पृथ्वी पर वापिस आते हैं! हलवा पुरी का भोग लगाया जाता है उन दिनों और देव गुर (माली) के द्वारा गड़ाई यानि वर्षफल भी सुनाया जाता है , हां एक बात और देव प्रवास पुरा होने से पहले सुबह ब्रह्म महुरत से पहले पुजा करने का प्रावधान है और वह भी घंटी और शंखनाद के बिना! क्योंकि इस से देवता वापिस आ जाते है ऐसा माना जाता है……