योग सुन्दरता बढ़ाता है। ——-शहनाज हुसैन

योग सुन्दरता बढ़ाता है। ——-शहनाज हुसैन

सुन्दर चमकीली त्वचा, गठीला शरीर, छरहरा बदन,चेहरे पर  यौवनता, चमकीले बाल तथा प्राकृतिक रूप से सुन्दर दिखने की चाहत में आज कल पिफटनेस सैन्टरों, जिम, सैलून, स्पा तथा बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के मंहगे सौदर्य प्रसाधनों  को खरीदने की होड़ आम देखी जा सकती है/ आज कल के प्रदूषण,तनाव, लाइफ स्टाइल तथा दिन रात  की भागदौड़ भरी   जिन्दगी से आप  समय से पहले ही  बूढ़े दिखने लगते हैं तथा युवा उम्र में ही चेहरे पर झुर्रियां ,कील मुहाँसे ,फुंसियाँ ,काले धब्बे लगातार परेशानी का सबब बन जाते हैं / अधिकांश लोग  सूंदर दिखने की लालसा क्या क्या नहीं कर देते लेकिन फिर भी  ब्यूटी  सैलूनों  में  घण्टों फेयरनेस ट्रीटमेंट  तथा कॉस्मेटिक पर भारी खर्च करने के बाद  भी चेहरे का निखार  कुछ दिनों बाद ही गायब हो जाता है /ऐसे में लोग  उदास होकर दिल तोड़ बैठते हैं  तथा उन्हेँ  लगता है की सुंदरता  तो बिरासत में ही मिलती है 
लेकिन कया आप जानते हैं की  अगर आप शारीरिक  रूप से सुन्दर हैं  तो  आपका सौन्दर्य  चेहरे पर  स्वभाबिक  रूप से झलकेगा /  कुछ योग आसनों  के नियमित  अभ्यास से आप प्राकृतिक सुन्दरता , दमकती त्वचा  तथा  शारीरिक आकर्षण  ग्रहण कर सकते है / बास्तव में अगर आप योग  साधना को  अपने जीवन  से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ्य  रखने के साथ ही प्रकृतिक तौर पर स्थाई रूप से सुन्दर तथा प्रभाबशाली  भी बनाया जा सकता है तथा   महँगे सौन्दर्य प्रसाधनों ,  ,ब्यूटी  सैलूनों  के महँगे उपचार तथा  समय को बचाया जा सकता है 
भारतीय आर्युवैदिक पद्धति  योग के साधारण  आसनों के जरिए आप स्थाई आन्तरिक तथा बाहरी सौन्दर्य मुफ़त      में आसानी में पा सकते है।
प्रतिदिन महज आध घण्टा सुबह तथा शाम सूर्या नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपाल भाती,  धनुर आसन  तथा सांसो की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौन्दर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवन पर्यन्त बनाऐ रख सकते है।
बालों तथा त्वचा के सौंदर्य को बनाए रखने में प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका  अदा करता है। प्राणायाम से जहां तनाव कम होता है वहीं दूसरी ओर शरीर में प्राण वायू का प्रभावी संचार होता है तथा रक्त का प्रभाव बढ़ता है। प्राणायाम सही तरीके से सांस लेने की बेहतरीन अदा है। प्रतिदिन 10 मिनट तक प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लीजिंग हो जाती है। प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक आक्सीजन तथा रक्त संचार होता है। जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्वि होती है तथा बालों का सफ़ेद  होना तथा झड़ने जैसी समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है। योगा का मानसिक शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्म विश्वास बढ़ता है। योगा से आप आत्मिक  तौर पर शान्त महसूस करते हैं। जिससे आपके बाहरी सौन्दर्य में भी निखार आता है।
आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि में पैदा होने वाली कील, मुहांसे, काले धब्बों  आदि की समस्याओं के स्थाई उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन के लगातार उपयोग से आप कील, मुंहासे, काले धब्बों  आदि की समस्याओं का स्थाई उपचार पा सकते है। कपालभाती शासीर  में कार्बन डाईक्साईड को हटाकर खून को साफ करने में मदद मिलती है। उससे शरीर में हल्कापन महसूस होता है।   धनुर   ध्आसन से शरीर में रक्त  का प्रभाव बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में मदद मिलती है इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार भी आता है।
योग के लगातार अभ्यास से त्वचा तथा शरीर में यौवन को दीर्घ कालीन तौर पर बनाए रखने में मदद मिलती है। योगासन से  रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचकदार बनाया रखा जा सकता है। जिससे शरीर लम्बे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है, योग से शरीर के भार को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांस पेशियां नरम तथा मुलायम हो जाती है। योगा से थकान से मुक्ति मिलती है। तथा शरीर में उर्जा का प्रभावी संचार होता है सूर्यानमस्कार आसन से पूरे शरीर में नवयौवन का संचार होता है। सूर्यानमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है तथा  यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।
चेहरे की झुर्रियों से मुक्ति पाने के लिए सूर्यानमस्कार तथा प्राणायाम दोनों प्रभावी आसन है।
 
आपके सुन्दर दिखने के लिए जरूरी नहीं कि आप सुन्दर ही पैदा हुए हों आप अपने प्रयत्नों से सौंदर्य प्राप्त कर सकते है।  अच्छा स्वास्थ्य तथा सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू है। यदि आप आन्तरिक रूप से सुन्दर नहीं है तब तक आपका सौंदर्य चेहरे पर नहीं झलक सकता। सुन्दर त्वचा, चमकीले बाल तथा छरहरे बदन के लिऐ अच्छी सेहत का होना परम आवश्यक है। वास्तव में मैंने समग्र स्वास्थ्य के लिए आर्युवैदिक सिद्धान्त को प्रोत्साहित किया। जिसमें योग को इस कार्यक्रम का अभिन्न अंग माना गया।
मेरी समग्र सौंदर्य देखभाल की विशिष्ट अवधारणा को विश्व भर में सराहा गया है। वास्तव में मेरा विचार है कि आज की आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य तथा सौंदर्य के सन्दर्भ में योग काफी सार्थक है। योग मेरे व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग रहा है तथा मैंने इसके असंख्य लाभ महसूस किए है।
योग से मानसिक तथा शारीरिक दोनों को प्रचुर लाभ मिलता है। इससे न केवल सभी मांस पेशियों को फायदा होता है बल्कि इससे प्राण शक्ति बढ़ती है तथा आन्तरिक अंगों की रंगत में निखार आता है।
इससे नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है। इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है। योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित  व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है। योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे सांसों पर नियन्त्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान सांस खींचने तथा सांस बाहर निकलाने की उचित विधि से शवास  को संयमित करने में मदद मिलती है जिससे शरीर में आक्सीजन को नियन्त्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है।
योग सौन्दर्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि आन्तरिक सौंदर्य से ही सही शारीरिक सौंदर्य की प्राप्ति की जा सकती है।
येाग से रक्त संचार के प्रवह में सुधार होताहै जिससे त्वचा के स्तह तक पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार होता है तथा यह रक्त संचार सुन्दर त्वचा के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है क्योंकि इससे त्वचा को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जिससे त्वचा सुन्दर तथा निखरी दिखाई देती है। योग  के माध्यम से शरीर के विषैले तत्व त्वचा के माध्यम से बाहर आते है तथा रक्त संचित त्वचा के मामले में योग सबसे ज्यादा लाभदायक सिद्ध होते है। इससे त्वचा में रंगत तथा स्फूर्ति आ जाती है। योग से सौंदर्य में व्यापक निखार आता है तथा यह त्वचा को ताजा तथा बीमारियों से पूरी तरह मुक्त रखती है। यह अवधारणा बालों पर भी लागू होती है। योग से सिर की खाल तथा बालों के कोश में रक्त संचार तथा आक्सीजन का व्यापक निरन्तर प्रवाह होता है। इससे बालों के रक्त संचार को पोष्टिक तत्व पहुंचाने में काफी मदद मिलती है जिससे बालो की वृद्धि तथा सिर की खाल को स्वास्थ्य रखने में बहुत मदद मिलती है।
जब हम सौंदर्य की बात करते है तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें  आंतरिक  सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपन, हाव.भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना नितान्त आवश्यक होता है।
जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को आक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप  ऐसी जीवनशैली गुजार  रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियन्त्रण दे रहे है योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दुरूस्त रखने में भी मदद मिलती है योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्यिों के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती हैए रक्त संचार में सुधार होता हैए प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
अनेक सौंदर्य समस्यायें मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है तथा इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं को निजात प्रदान करने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासोंए बालों के झड़ने की समस्याओंए सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियायें करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताए आत्म विश्वासए उचित मनोभावए जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है। योग करने से आप तत्काल पुनः यौवन प्राप्त करके चित प्रसन्न महसूस कर सकते है।
वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है।
आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग-दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत,संयमित और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है,वरन् यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग-दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव,एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं।                                                        
जीवन की भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता,हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।                                                    
शरीर को स्वस्थ्य बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध हमारे मन को विकृत करता है जिससे हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहं भूमिका निभाता है। 
  योग  
जब हम सौंदर्य की बात करते है तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें आकृतिए सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपनए हावण्भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना नितान्त आवश्यक होता है।
जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को आक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप से ऐसी जीवनशैली गुजर रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियन्त्रण दे रहे है योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दुरूस्त रखने में भी मदद मिलती है योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्यिं के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती हैए रक्त संचार में सुधार होता हैए प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
अनेक सौंदर्य समस्यायें मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है तथा इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं को निजात प्रदान करने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासोंए बालों के झड़ने की समस्याओंए सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियायें करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताए आत्म विश्वासए उचित मनोभावए जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग एवं भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है। 
वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है।
आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग.दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत ,संयमित ,और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग.शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है  वरन् यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग.दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहरावएएक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं।                                                        
जीवन की भाग.दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे/  योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता  तब तक   हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन.मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।                                                    
शरीर को स्वस्थ्य बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध हमारे मन को विकृत करता है जिससे हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहम  भूमिका निभाता है। 
लेखिका  अन्तर्राष्ट्रीय  ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है।

Related post

Tensions Rise in Ferozepur: Clashes Erupt During Panchayat Election Nominations

Tensions Rise in Ferozepur: Clashes Erupt During Panchayat Election…

Tensions Rise in Ferozepur: Clashes Erupt During Panchayat Election Nominations In a troubling development during the nomination process for the upcoming…
Punjab Police Disrupts International Drug Smuggling Operation, Arrests Two Operatives with 1.5kg Heroin

Punjab Police Disrupts International Drug Smuggling Operation, Arrests Two…

Punjab Police Disrupts International Drug Smuggling Operation, Arrests Two Operatives with 1.5kg Heroin In a significant breakthrough in the ongoing fight…
शानन परियोजना क्षेत्र में सड़कों की बदहाली को लेकर किया प्रदर्शन, पंजाब बिजली बोर्ड प्रबंधन को सौंपा ज्ञापन, दस दिन का दिया अल्टीमेटम

शानन परियोजना क्षेत्र में सड़कों की बदहाली को लेकर…

शानन परियोजना क्षेत्र में सड़कों की बदहाली को लेकर किया प्रदर्शन, पंजाब बिजली बोर्ड प्रबंधन को सौंपा ज्ञापन, दस दिन का…

Leave a Reply

Your email address will not be published.