शिमला में कोटशेरा कॉलेज में हिमाचली लोक साहित्य- संस्कृति संगोष्ठी का आयोजन

शिमला में कोटशेरा कॉलेज में हिमाचली लोक साहित्य- संस्कृति संगोष्ठी का आयोजन

शिमला में हिमाचली लोक साहित्य- संस्कृति संगोष्ठी का आयोजन

शिमला, 1 दिसंबर, 2023

भाषा संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश जिला शिमला और राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान, शिमला की इंग्लिश लिटरेरी सोसाइटी एवं साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वाधान में आज एक दिसंबर, 2023, शुक्रवार को हिमाचली लोक साहित्य- संस्कृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी का मुख्य विषय हिमाचली लोक साहित्य और संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन था।

संगोष्ठी की अध्यक्षता प्राचार्य राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय डॉ. एल.एस. वर्मा ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के इंटरनेट के युग में युवाओं को अपनी लोक-संस्कृति से परिचित होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने भाषा एवं कला संस्कृति विभाग, जिला शिमला और राजकीय महाविद्यालय की ओर से अंग्रेजी और हिंदी विभाग की साहित्य परिषद का संगोष्ठी के आयोजन पर बधाई दी।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुदर्शन वशिष्ठ ने लोकगीत का इतिहास और उसका नवीनीकरण के विषय पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि लोकगीत हिमाचली संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। इनमें हिमाचली समाज की भावनाएं, विचार और परंपराएं अभिव्यक्त होती हैं। उन्होंने कहा कि लोकगीतों को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए इनकी व्याख्या और नवीनीकरण करना आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. मस्तराम शर्मा ने हिमाचल की लोक-गाथाओं, लोक-संस्कृति और बोली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिमाचली लोक-गाथाएं हिमाचली संस्कृति के इतिहास और दर्शन का अमूल्य खजाना हैं। उन्होंने कहा कि लोक-संस्कृति को संरक्षित करने के लिए इन लोक-गाथाओं को जन-सामान्य तक पहुँचाना आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि त्रिलोक सूर्यवंशी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हिमाचली लोक बोलियों का संवर्धन किया जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोक बोलियाँ हिमाचली संस्कृति की पहचान हैं। इनका संरक्षण और संवर्धन करना आवश्यक है।

ज़िला भाषा अधिकारी श्री अनिल हारटा ने कहा कि लोकगीतों में प्रयोग होने वाले शब्दों का गूढ़ इतिहास है। जब इनसे छेड़छाड़ की जाती है तो असली रस दर्शकों तक नहीं पहुंचता है। साथ ही संस्कृति को भी क्षति पहुँचती है।

भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से श्री रमेश चंद्र, श्री प्रवेश निहल्टा और श्री जयप्रकाश शर्मा ने पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति से सभी दर्शकों का मन मोह लिया।

इसके उपरान्त, हिमाचल के पारंपरिक “करयाला” का मंचन किया गया जिसमें साधु का स्वांग नामक कथा का मंचन हुआ। श्री चेतन और उनके साथियों ने “गोरखा का स्वांग” का मंचन किया। श्री किशोर कुमार और उनके साथियों द्वारा गज़ल की प्रस्तुति में सभी दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।

हिमाचल की पारंपरिक धुनें बांसुरी पर बजाकर श्री विनोद कुमार ने कार्यक्रम में चार चाँद लगाए।

इस संगोष्ठी के संयोजक, डॉ. कुंवर दिनेश सिंह ने बताया कि राजकीय महाविद्यालय की ओर से अंग्रेज़ी और हिंदी विभाग की साहित्य परिषद के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस संगोष्ठी में श्री त्रिलोक सूर्यवंशी, पूर्व सहायक निदेशक भाषा एवं कला संस्कृति विभाग सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. जितेंद्र, डॉ. पूनम किमटा, डॉ. हेमराज, डॉ. प्रियंका, डॉ. मृणालिनी, डॉ. दिव्या, डॉ. शीतल, डॉ. रीना, सविता, डॉ. हेमंत और सुजय कयिल इत्यादि मौजूद रहे।

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