सरकार से मिली मदद और कौशल के संगम से महिलाओं ने संवारी तकदीर

सरकार से मिली मदद और कौशल के संगम से महिलाओं ने संवारी तकदीर

बांस के उत्पाद तैयार कर जीवन में आई आर्थिक हरियाली

डलाह पंचायत की महिलाएं बनी आत्मनिर्भरता की प्रेरक
 मंडी 08 फरवरी।
सरकार से मिली मदद और अपने कौशल के संगम से मंडी जिला की डलाह पंचायत की महिलाएं उद्यमिता की ऐसी सफल गाथाएं लिख रहीं हैं, जो दूसरों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के साथ साथ आत्मनिर्भरता का सशक्त उदाहरण भी बनी हैं। हरा सोना कहे जाने वाले बांस से विभिन्न उत्पाद तैयार कर महिलाओं ने अपने जीवन में आर्थिक हरियाली का नया मार्ग खोजा है। वहीं सेपू बड़ी, टेडी बीयर, स्वेटर जुराबें अगरबती इत्यादि तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाकर अपनी तकदीर को ही नहीं संवारा है, बल्कि अपने घर का सहारा भी बनी हैं।
जिला मण्डी के विकास खंड द्रंग की ग्राम पंचायत डलाह की महिलाएं आज स्वाबलंबन की मिसाल बनी हैं। कोठी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पारंपरिक खेती से हटकर अब बांस से उत्पाद तैयार कर रही हैं, महिलाओं का यह समूह बांस के उत्पाद बनाकर उन्हें बेचकर अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर रहा है। ये महिलाएं बांस की टोकरियां, किल्टे ,सूप सहित बांस के उत्पाद बनाकर तीन से चार लाख रूपये तक आमदनी अर्जित कर रहा है। महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पाद बाहरी राज्यों में आयोजित मेलों में भी विक्रय के लिए प्रदर्शित किए जाते हैं।
इन महिलाओं को मुख्यमंत्री ग्राम कौशल विकास योजना के तहत बांस उत्पाद बनाने का तीन महीने की ट्रेनिंग भी विभाग द्वारा दी गए है। ट्रेनिंग के दौरान इन महिलाओं को तीन हजार रुपए का भत्ता भी प्रतिमाह दिया गया। जिला मण्डी के प्रत्येक विकास खण्ड में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा हिम ईरा  नाम से मार्केट यार्ड खोला गया है जहां स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री की जाती है।
बांस के उत्पादों के साथ साथ स्वयं सहायता समूह की ये महिलाएं आमला, आम, नींबू, लिंगड के अचार के साथ सेपू बड़ी, अरबी डंठल बड़ी, माह बड़ी, अमचूर, ढींगरी मशरूम, हल्दी, खजूर व बांस के उत्पाद, काॅटन कुशन, टैडी बीयर, स्वैटर, जुराबें व ऊन के उत्पादों भी  तैयार कर रहीं है। साथ ही महिलाओं द्वारा बनाए गई अगरबत्ती, दीए, धूपबत्ती, मूर्तियों के साथ ही कई तरह के उत्पादों  भी तैयार कर रहे हैं।
लक्की कोठी स्वयं सहायता समूह की प्रधान कुसमा देवी का कहना है कि बांस के उत्पाद तैयार करने के लिए सरकार की ओर से आर्थिक मदद तथा प्रशिक्षण दिया गया इसके साथ ही विपणन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पहले पारंपरिक खेती तक ही सीमित थी लेकिन अब बांस के उत्पाद तथा सेपू बड़ी, स्वेटर, अगरबती, टेडी बीयर इत्यादि निर्मित कर अच्छी आमदनी अर्जित कर रही हैं।
लकी कोठी समूह की सचिव अंजली कुमारी का कहना है कि उनके उत्पादों की डिमांड काफी रहती है मंडी शिवरात्रि तथा अन्य जगहों पर आयोजित मेलों में भी स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की डिमांड काफी रहती है जबकि बांस से तैयार उत्पादों को अन्य राज्यों के मेलों में भी विक्रय किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई उनके हुनर की तारीफ करता है तो सुकूं मिलता है इसके साथ साथ ही आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का भाव भी निर्मित होता है।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रत्येक स्वयं सहायता समूह को स्टार्ट अप के लिए 2500 रू तथा रिवाल्विंग फंड के रूप में प्रदेश सरकार द्वारा 25000 रू की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही सामुदायिक निवेश निधि के रूप में प्रत्येक समूह को ₹50000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिला मण्डी के 14 ब्लाॅक में कुल 7878 स्वयं सहायता समूहों में 60301 महिलाएं पंजीकृत हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार इन समूहों पर इस वर्ष मंडी जिला में 28 करोड़ खर्च कर रही है। ये सभी समूह बैंक से लिंक किए गए हैं।

Related post

Himachal’s Tourism Triumph: State-Run Corporation Posts Historic Profits Amid Infrastructure Push

Himachal’s Tourism Triumph: State-Run Corporation Posts Historic Profits Amid…

In a significant departure from the usual narrative surrounding state-run enterprises in India, the Himachal Pradesh Tourism Development Corporation (HPTDC) has…
Celebrating Aspiration: Haryana’s Chief Minister Honours New Civil Servants, Calls Them Architects of a Developed India

Celebrating Aspiration: Haryana’s Chief Minister Honours New Civil Servants,…

In a solemn yet spirited gathering at his official residence, “Sant Kabir Kutir,” Haryana Chief Minister Nayab Singh Saini recently honoured…
अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *