हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस का कहर, पीड़ित दो युवतियों की मौत

हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस का कहर, पीड़ित दो युवतियों की मौत

हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस का कहर जारी है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है। ताजा घटनाक्रम में शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में स्क्रब टायफस से पीड़ित दो युवतियों की मौत हो गई। मृतक युवतियों में एक की उम्र 17 वर्ष थी और वह मंडी की रहने वाली थी, जबकि दूसरी 25 वर्षीय युवती कुल्लू से थी। इन दोनों को कुछ दिनों पहले स्क्रब टायफस से संक्रमित पाया गया था और उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) अस्पताल में भर्ती किया गया था। मंगलवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और दोनों ने दम तोड़ दिया।

आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल राव ने पुष्टि करते हुए कहा कि स्क्रब टायफस के कारण दो मरीजों की मृत्यु हो गई है। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे इस रोग से बचाव के लिए सतर्क रहें और आवश्यक सावधानियां बरतें। शिमला के इस प्रतिष्ठित अस्पताल में अब तक स्क्रब टायफस के 59 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से चार लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले भी मंडी और शिमला के पंथाघाटी क्षेत्र के दो बुजुर्गों की स्क्रब टायफस के कारण मृत्यु हो गई थी।

 

मेडिकल उपचार और कारण

स्क्रब टायफस एक गंभीर बीमारी है, जो ओरेंशिया सुसुगेमोसी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बैक्टीरिया चूहों और झाड़ियों में रहने वाले चिगर्स नामक कीटों के जरिए फैलता है। जब यह संक्रमित कीट या चूहों का पिस्सू किसी इंसान को काट लेता है, तो बैक्टीरिया उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है और रोग का कारण बनता है।

इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज करने पर यह जानलेवा हो सकता है। पिस्सू के काटने के लगभग 10 दिनों बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। शुरुआत में बुखार और ठंड लगती है, इसके बाद सिरदर्द, बदन दर्द और मांसपेशियों में तेज दर्द महसूस होता है। समय पर इलाज न मिलने पर रोग गंभीर हो जाता है, जिससे हाथ-पैर और गर्दन की ग्रंथियों में सूजन आ जाती है।

डॉक्टरों के मुताबिक, डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स इस बीमारी के इलाज में प्रभावी साबित होती हैं। इलाज में देरी होने पर स्थिति खतरनाक हो सकती है, इसलिए समय रहते अस्पताल में जांच और उपचार बेहद जरूरी है।

 

स्क्रब टायफस से बचाव के उपाय

इस रोग से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण एहतियात बरतनी चाहिए। सबसे पहले, उन क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए जहां चूहों और पिस्सुओं की अधिकता हो, खासकर झाड़ियों और खेतों में। घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना चाहिए ताकि कीटों के प्रजनन की संभावना कम हो।

बाहरी क्षेत्रों में काम करते समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और शरीर को कवर करें। साथ ही, त्वचा पर पिस्सू और कीट भगाने वाले रिपेलेंट का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद हो सकता है। यदि आप किसी क्षेत्र में यात्रा करते हैं जहां स्क्रब टायफस का प्रकोप फैला हुआ है, तो वापस लौटने के बाद अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और बुखार या अन्य लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

स्क्रब टायफस के लक्षणों की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए जागरूकता और समय पर इलाज बेहद महत्वपूर्ण है। इस बीमारी के प्रति सावधानी बरतते हुए हम खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।

 

 

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