हिमाचल प्रदेश के मंडी और कुल्लू जिलों में मानसून की मार ने लोगों की ज़िंदगी को उथल-पुथल कर दिया है। लगातार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण सैकड़ों घर जमींदोज हो चुके हैं, कई परिवार बेघर हो गए हैं और ज़िले के अनेक हिस्सों में सड़क संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। लेकिन संकट की इस घड़ी में मंडी से सांसद और चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत का न पहुँचना लोगों में आक्रोश और निराशा का कारण बन गया है।
जहाँ एक ओर लोग अपने उजड़े घरों और बहते हुए आशियानों को देख रो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सांसद कंगना रनौत की अनुपस्थिति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना तेज हो चुकी है। कांग्रेस ने भी निशाना साधते हुए कहा है कि “कंगना रनौत को मंडी की जनता की कोई चिंता नहीं है।”
हालाँकि कंगना ने शुक्रवार को यह सफाई दी कि उन्हें विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सलाह दी थी कि जब तक कनेक्टिविटी बहाल नहीं होती, तब तक वहाँ जाना उचित नहीं होगा। इसी को लेकर उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि वह ‘रास्ते में हैं’ और प्रशासन की मंजूरी मिलते ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगी।
लेकिन स्थानीय लोग इस तर्क से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि “जब एक सांसद को सबसे पहले ज़मीन पर जाकर पीड़ित जनता का हाल पूछना चाहिए, तब वो केवल सोशल मीडिया पर बयानबाज़ी कर रही हैं।”
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से जब पत्रकारों ने पूछा कि कंगना अभी तक क्यों नहीं पहुँचीं, तो उन्होंने कहा, “मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता, हम अपने लोगों के साथ हैं, और जो लोग नहीं हैं, वे खुद जाने।”
कंगना ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि, “हिमाचल में हर साल ऐसी तबाही देखना दिल तोड़ने वाला है। मैंने मंडी ज़िले के सेराज और अन्य प्रभावित इलाकों में जाने का प्रयास किया लेकिन जयराम ठाकुर जी ने सलाह दी कि रास्ते और नेटवर्क की हालत देखते हुए कुछ समय इंतजार करें।”
शाम को एक अन्य वीडियो में ठाकुर ने बताया कि कंगना ने उन्हें फ़ोन कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की इच्छा जताई और उन्होंने कंगना को थुनाग और जंजैहली जाने को कहा, जहाँ तबाही अधिक है और सड़कें भी जल्द खुलने वाली हैं।
हालाँकि यह पहला मौका नहीं है जब कंगना पर आपदा के समय ज़मीन से कटे होने के आरोप लगे हैं। 2023 में भी जब मंडी और कुल्लू में भारी बारिश और भूस्खलन हुए थे, तब भी वह लंबे समय तक प्रभावित क्षेत्रों में नहीं पहुँची थीं।
इस बार मंडी ज़िले के लोग और भी अधिक आहत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि घर बह गए हैं, परिवार तबाह हो चुके हैं और राहत कार्यों में देरी हो रही है। जनता को उम्मीद थी कि उनकी सांसद इस कठिन समय में आगे बढ़कर सहायता करेंगी, लेकिन अब तक उनका केवल ट्विटर और बयानों के ज़रिए ही संवाद हो रहा है।
जब मंडी और कुल्लू में आसमान से आफ़त बरस रही है, तब एक ओर सांसद कंगना रनौत आपदा प्रभावित क्षेत्रों से दूर बनी हुई हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हालात का ज़मीनी जायज़ा लेने खुद थुनाग और मंडी पहुँच चुके हैं। उन्होंने मौके पर पहुंचकर स्थिति का निरीक्षण किया और प्रभावित लोगों से मुलाकात कर राहत एवं बचाव कार्यों का जायज़ा लिया।
इस बीच लोक निर्माण विभाग (PWD), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और अन्य सभी संबंधित विभाग चौबीसों घंटे मोर्चा संभाले हुए हैं। टूटे हुए सड़क मार्गों की मरम्मत, जल आपूर्ति की बहाली, बिजली व्यवस्था और राहत सामग्री वितरण जैसे कार्यों को युद्धस्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है और दिन-रात मेहनत कर रहा है ताकि जनजीवन सामान्य हो सके।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी लगातार हरकत में हैं। वह न केवल आपदा की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं, बल्कि स्वयं भी क्षेत्रों का दौरा कर हालात की निगरानी कर रहे हैं। उनका व्यवहार यह दर्शाता है कि असली नेता वही होता है जो संकट की घड़ी में आगे आकर नेतृत्व करे, न कि दूर से बयानबाज़ी करे।
इस कठिन समय में जहाँ पूरा प्रशासन और सरकार मैदान में डटी है, वहीं सांसद कंगना रनौत के रवैये को लेकर जनता में नाराज़गी बढ़ती जा रही है। लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि आपदा के समय जनप्रतिनिधियों का असली चेहरा सामने आता है — जो ज़मीन पर नहीं, वह केवल कैमरे में नज़र आते हैं।
प्रशासन भले ही यह कह रहा हो कि अनुमति मिलते ही सांसद दौरे पर जाएँगी, लेकिन जनता अब यह जानना चाहती है कि आपदा के दौरान उनके प्रतिनिधि की प्राथमिकता क्या है – सोशल मीडिया या ज़मीनी सच्चाई?
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