हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में हो रही भीषण बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने किन्नर कैलाश यात्रा को संकट में डाल दिया है। मंगलवार को तांगलिंग क्षेत्र में बादल फटने के बाद यात्रा मार्ग पर दो पुल बह जाने और रास्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण सैकड़ों श्रद्धालु ट्रैक पर फंस गए थे। जिला प्रशासन द्वारा यात्रा को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया, लेकिन तब तक कई लोग पहले ही पहाड़ों में फंस चुके थे।
आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) की 17वीं वाहिनी की टीम और एनडीआरएफ की एक संयुक्त टीम ने बुधवार तड़के से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। रस्सी आधारित ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक का प्रयोग करते हुए अब तक 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। इस अभियान में एक गजेटेड ऑफिसर, चार सब-ऑर्डिनेट ऑफिसर और 29 अन्य रैंकों की आईटीबीपी टीम ने अपनी भूमिका निभाई।
बुधवार सुबह जिला प्रशासन को जानकारी मिली कि यात्रा मार्ग पर कई श्रद्धालु अब भी फंसे हुए हैं, जिसके बाद दूसरी रेस्क्यू टीम पुनः तैनात की गई। पुलों के बह जाने के कारण पुर्बानी मार्ग से यात्रियों को बाहर निकाला जा रहा है। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से किन्नर कैलाश यात्रा के पंजीकरण को फिलहाल के लिए बंद कर दिया है।
इसी बीच, बुधवार को क्षेत्र में भारी बारिश के चलते नए भूस्खलन और पहाड़ी से पत्थरों की गिरावट की घटनाएं सामने आई हैं। किन्नौर और लाहौल-स्पीति को जोड़ने वाले राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 पर भीषण रुकावटें आई हैं। ज्यूरी के पास पहाड़ी से पत्थरों की बरसात होने से यह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। चौरा और स्किबा के पास भी भूस्खलन की वजह से हाईवे अवरुद्ध हो गया है, जिससे काजा क्षेत्र पूरी तरह देश-दुनिया से कट गया है।
हालात इतने गंभीर हैं कि न केवल किन्नर कैलाश यात्रा बाधित हुई है बल्कि पूरे किन्नौर और लाहौल-स्पीति क्षेत्र में आवाजाही और आपात सेवाओं तक पहुंच बनाना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियां लगातार निगरानी में जुटी हैं ताकि किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि को रोका जा सके।
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