कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली देव दीपावली हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक पर्व माना जाता है। इस दिन को देवताओं की दीपावली कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर आकर दीप जलाकर भगवान विष्णु और महादेव की आराधना करते हैं। यह पर्व दीपों, भक्ति और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन माता तुलसी और भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। शाम के समय तुलसी माता के समीप 11 दीपक जलाने का विधान है। यह दीपक न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, बल्कि परिवार में सुख, समृद्धि और शांति लाने का प्रतीक भी माने जाते हैं।
इसके अलावा, इस दिन दक्षिण दिशा में भी दीप जलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
देव दीपावली के दिन भगवान शिव को गंगाजल और शहद से स्नान कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसके पश्चात दूध, दही, घी और मधु से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है तथा बेलपत्र, धतूरा, और भस्म अर्पित की जाती है।
पौराणिक कथा एवं धार्मिक महत्व
देव दीपावली का मूल-प्रसंग यह है कि इस दिन भगवान शिव ने तीन असुरों—त्रिपुरासुर (विद्धुनमलि, तारकाक्ष और वीर्यवन) को एक बाण से नष्ट कर विश्व को मुक्त कराया था। इसे अच्छे पर बुराई की जित के रूप में देखा गया है।
इस दिन माना जाता है कि देवता पृथ्वी पर उतरकर गंगा स्नान करते हैं, इसलिए इसे ‘देवों की दिवाली’ कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त, यह तिथि चतुर्मास के अंत का सूचक भी है, जब भगवान विष्णु अपने योग-निद्रा (विष्णु-अवतार) से जागते हैं। इसे एक नए अध्याय की शुरुआत के तौर पर भी देखा जाता है।
वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार और प्रयागराज जैसे तीर्थस्थलों पर इस दिन का विशेष उत्सव देखने योग्य होता है। गंगा तटों पर हजारों दीपक जलाकर देवताओं का स्वागत किया जाता है, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्ति और प्रकाश से आलोकित हो उठता है।
देव दीपावली न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंधकार से प्रकाश और अज्ञान से ज्ञान की ओर अग्रसर होने का प्रतीक भी है। इस दिन का पर्व श्रद्धा, भक्ति और सद्भावना से मनाने से जीवन में शांति, समृद्धि और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।
देव दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि आस्था, प्रकाश और संस्कृति का उत्सव है। इस दिन यदि हम आत्म-निरीक्षण करें, दीप जलाएं, स्नान करें और श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें तो न केवल मान्यताएं पूरी होंगी बल्कि हमारे जीवन में शान्ति, समृद्धि व सकारात्मकता आएगी। इस वर्ष इस त्योहार को जितना संभव हो पारंपरिक रीति-रिवाजों, श्रद्धा व सामाजिक भक्ति के साथ मनाएं—यह भारत की सांस्कृतिक महिमा को पुनर्स्थापित करेगा।






