पाकिस्तान की सेना की सच्चाई एक बार फिर सामने आई: लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी मौलवी के रूप में पेश

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पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता के एक दावे ने एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान की असलियत को उजागर किया है। पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि वायरल हो रही तस्वीर में दिख रहा शख्स कोई आतंकी नहीं है, बल्कि एक धर्मगुरु है। लेकिन जब इस दावे की गहराई से जांच की गई, तो यह सच सामने आया कि जिस व्यक्ति को पाकिस्तान की सेना ने धर्मगुरु बताया, वह दरअसल एक वैश्विक आतंकवादी है, जिसे अमेरिका ने अपने आतंकवादियों की सूची में डाल रखा है।

यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि हाफिज अब्दुर रऊफ है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LET) के साथ जुड़े हुए आतंकवादी संगठन का एक वरिष्ठ सदस्य है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा और इसके फ्रंट संगठनों के लिए धन जुटाता रहा है।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता द्वारा दिखाए गए आईडी कार्ड में यह दावा किया गया था कि रऊफ एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता है, जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PMML) का ‘वेलफेयर विंग इंचार्ज’ है। लेकिन जब इस आईडी कार्ड की जांच की गई, तो यह खुलासा हुआ कि वह एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है, जिसका नाम हाफिज अब्दुर रऊफ है।

हाफिज अब्दुर रऊफ, जो लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ नेतृत्व में लंबे समय से शामिल रहा है, 1999 से इस आतंकवादी संगठन के प्रमुख नेताओं में से एक है। वह ‘फाउंडेशन फॉर इम्प्लीमेंटेशन ऑफ फंडामेंटल्स’ (FIF) का प्रमुख भी है, जो दरअसल लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है। 2008 में मुंबई हमलों के बाद जब दुनिया भर में लश्कर-ए-तैयबा पर दबाव बढ़ा, तो FIF ने राहत कार्यों और चंदा इकट्ठा करने के लिए अपनी पहचान बनाई।

रऊफ ने कई मौकों पर पाकिस्तान में फंडरेज़र कार्यक्रमों में भाग लिया, जिसमें FIF के नाम से धन जुटाया गया। वह लश्कर-ए-तैयबा के ‘डायरेक्टर ऑफ ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ’ और ‘डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस’ के पदों पर भी रह चुका है। 2008 में उसने एलईटी और जमात-उद-दावा (JUD) के लिए राहत कार्यों की निगरानी की और उन कार्यक्रमों के लिए फंडिंग जुटाने के प्रयास किए।

रऊफ के बारे में यह जानकारी भी सामने आई है कि उसने पहले लश्कर-ए-तैयबा की चैरिटेबल विंग ‘इदारा खिदमत-ए-खल्क़’ (IKK) की जिम्मेदारी संभाली थी। 2007 में, जब वह पेशावर गया था, तो उसने बाढ़ पीड़ितों के लिए एलईटी द्वारा किए गए राहत कार्यों की निगरानी की थी। इस समय भी वह आईकेके की गतिविधियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहा था।

2006 में अमेरिका ने जमात-उद-दावा (JUD) और इदारा खिदमत-ए-खल्क़ (IKK) को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थान मानते हुए उन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा, हाफिज सईद को 2008 में वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित किया गया और JUD तथा सईद को संयुक्त राष्ट्र की सूची में डाल दिया गया।

पाकिस्तानी सेना ने एक आतंकवादी को मौलवी के रूप में पेश कर दुनियाभर को धोखा देने की कोशिश की, लेकिन यह खुलासा एक बार फिर पाकिस्तान के नापाक इरादों को सामने लाता है। पाकिस्तान एक बार फिर अपनी आतंकवादियों को शरण देने की आदत को छिपाने के लिए राजनीतिक और धार्मिक संगठनों का सहारा लेता है। इस मामले में पाकिस्तान की सेना ने जिस शख्स को धार्मिक प्रचारक बताया, वह वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है, और यह साबित करता है कि पाकिस्तान जानबूझकर आतंकियों को संरक्षण दे रहा है और दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।

हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा के संचालन में अहम भूमिका निभाता रहा है और उसका पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क से गहरा संबंध है। अब्दुर रऊफ की गतिविधियों का खुलासा दुनिया के सामने लाने से यह साफ है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों को किसी न किसी रूप में छुपाने के प्रयासों में लगा रहता है।

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