विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर जिला हमीरपुर के बड़सर क्षेत्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी के दिशा-निर्देशन में बड़सर पंचायत के एक आंगनबाड़ी केंद्र में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को हेपेटाइटिस जैसे गंभीर संक्रामक रोग के प्रति जागरूक करना और इससे बचाव के उपायों को आमजन तक पहुंचाना रहा।
कार्यक्रम के दौरान जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बीरबल वर्मा ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि हेपेटाइटिस एक घातक संक्रामक रोग है जो मानव शरीर के लीवर को प्रभावित करता है और उसमें सूजन पैदा करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, लगातार थकान महसूस होना, पेट में दर्द, मतली और उल्टी, भूख की कमी और आंखों तथा त्वचा का पीला पड़ जाना प्रमुख हैं। इन लक्षणों की अनदेखी करना रोग को और भी गंभीर बना सकता है।
बीरबल वर्मा ने बताया कि हेपेटाइटिस A और E दूषित भोजन और अशुद्ध पानी के सेवन से फैलता है, जबकि हेपेटाइटिस B, C और D संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंधों और संक्रमित मां से बच्चे में जन्म के दौरान हो सकता है। यह रोग लिवर की कार्यप्रणाली को बुरी तरह प्रभावित करता है और समय पर जांच तथा उपचार न होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है।
हर वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व हेपेटाइटिस दिवस इसी उद्देश्य से मनाया जाता है ताकि लोगों को लिवर संबंधी बीमारियों से बचाव, जांच और समय पर उपचार के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने जानकारी दी कि इस बीमारी का प्राथमिक परीक्षण रैपिड किट के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे जिला अस्पताल भेजा जाता है जहां उसका वायरल लोड टेस्ट किया जाता है और विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा आगे की चिकित्सा सलाह दी जाती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि व्यक्ति समय पर जांच करवाए और चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार दवाएं ले तो वह एक सामान्य और लंबा जीवन जी सकता है। बचाव के लिए हर व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को सलाह दी गई कि यदि वे हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव हों, तो प्रसव किसी मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही करवाएं ताकि नवजात को जन्म के समय ही हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जा सके और वह सुरक्षित रहे।
इस अवसर पर एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग की सुपरवाइजर दीपिका मैडम और बीसीसी समन्वयक श्रीमती सुलोचना ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया और लीवर की सुरक्षा को लेकर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में सुपरवाइजर अनीता कुमारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता राजीव शर्मा, मनोज शर्मा, जिन्तेर कुमार, अंजू, सुषमा, पंचायत उपप्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा वर्कर सहित क्षेत्र की कई महिलाएं व स्थानीय निवासी उपस्थित रहे।
इस प्रकार का आयोजन न केवल समुदाय में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को बढ़ाता है, बल्कि लोगों को सक्रिय रूप से अपनी और अपने परिवार की सेहत के प्रति सतर्क रहने की प्रेरणा भी देता है। इस तरह की स्वास्थ्य पहलों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रखी जाती है और लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए एक जिम्मेदार वातावरण विकसित होता है।
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