हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भीषण प्राकृतिक आपदा और बदलते मौसम के चपेट में आ गया है। 28, 29 और 30 जुलाई 2025 को लगातार तेज़ बारिश, भूस्खलन, जलभराव और बिजली गिरने की संभावनाओं के बीच प्रदेश भर में प्रशासन ने सतर्कता और सुरक्षा के जरिए आपदा से निपटने के प्रयास तेज कर दिए हैं। शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा प्रदेश के अधिकांश जिलों के लिए ताजा अलर्ट जारी किया गया है, जो लोगों की चिंता बढ़ाने वाला है। केवल किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे ऊंचाई वाले जिले इस चेतावनी से बाहर हैं, शेष हिमाचल लगभग प्राकृतिक खतरे की जद में है।
प्रदेश के मैदान और पहाड़ी क्षेत्रों में कल से जमकर बारिश हो रही है, जिससे सड़कों पर कीचड़, शहरों और गांवों में जलभराव की समस्या, नदी-नालों का जलस्तर बढ़ना, और भूस्खलन से रास्तों के कट जाने जैसी विकट स्थितियां पैदा हो गई हैं। सैकड़ों सड़कें एक बार फिर बाधित हो गई हैं, जिससे आम जनजीवन, परिवहन और आपूर्ति श्रृंखला पर विपरीत असर पड़ा है। कई जिलों में बिजली आपूर्ति, पीने के पानी की योजनाएं और दूरसंचार सेवाओं पर भी असर पड़ा है। मौसम विभाग द्वारा जारी ऑरेंज और येलो अलर्ट के अनुसार 28 से 30 जुलाई तक शिमला, कांगड़ा, मंडी, सोलन, कुल्लू, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, सिरमौर और चंबा जैसे जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने की संभावना अत्यंत अधिक है। नदियों के किनारे स्थित इलाकों में बाढ़ और जमीन धंसने की घटनाओं की चेतावनियां भी प्रशासन द्वारा लगातार जारी की जा रही हैं। पिछले 24 घंटों में ही प्रदेश के कई हिस्सों में जलभराव के कारण लोग अपने घरों तक सुरक्षित पहुंचने में असमर्थ रहे हैं, वहीं भूस्खलन की घटनाओं से कई गांवों का संपर्क बाकी दुनिया से कट गया है।
सरकार और जिला प्रशासन ने लोगों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी दशा में जोखिम भरे इलाकों—नदी-नालों, जर्जर भवनों, भूस्खलन संभावित पहाड़ियों और पुराने पुलों के पास—बिल्कुल न जाएं। बचाव और राहत दल चौबीसों घंटे घनघोर बारिश के बीच सतर्कता के साथ विभिन्न जिलों में तैनात हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को तत्परता से अंजाम दिया जा सके। विभिन्न जिलों के आपदा नियंत्रण केंद्रों और हेल्पलाइन नंबरों को सक्रिय कर दिया गया है, साथ ही सोशल मीडिया और मेगा वॉइस मैसेजिंग प्लेटफार्मों के जरिए नागरिकों तक हर आपात सूचना और आग्रह पहुंचाया जा रहा है।
इस विषम परिस्थिति के बीच प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है परिवहन सेवाओं को और ठप न होने देना, लोगों तक आवश्यक सामग्री—राशन, दवाएं, पीने का पानी—पहुंचाना और घबराए नागरिकों को लगातार आश्वस्त करना। राहत शिविरों में भारी संख्या में शरणार्थी मौजूद हैं, जबकि सैकड़ों परिवारों का अस्थाई रूप से स्थानांतरण कराया गया है। राज्य सरकार ने स्थानीय समितियों, स्वयं सहायता समूहों, युवक मंडलों तथा ग्रामीण पंचायतों को आपदा प्रबंधन की कार्यवाही में शामिल किया है, जिससे किसी भी संभावित आपात स्थिति का त्वरित समाधान किया जा सके। हिमाचल पुलिस, होमगार्ड्स तथा राज्य आपदा प्रबंधन बल के साथ-साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों की त्वरित तैनाती, पहाड़ी सड़कों व पुलों की लगातार निगरानी, और संवेदनशील क्षेत्रों में रोस्टर आधारित पेट्रोलिंग शुरू की गई है।
पर्यटकों एवं प्रदेशवासियों को बार-बार आगाह किया गया है कि जब तक मौसम सामान्य नहीं होता तब तक वे यात्रा योजनाएं टाल दें, अनावश्यक सफर से बचें, और जोखिम भरे इलाकों में किसी सूरत में न जाएं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की सक्रियता अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है, जिससे येलो और ऑरेंज अलर्ट के तहत सतर्कता बरतना प्रदेश के लिए बेहद जरूरी है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी सरकार ने एडवाइजरी जारी की है कि वे सोशल मीडिया हैंडल, प्रशासनिक वेबसाइट या स्थानीय सूचना प्रणालियों का अनुसरण करें और कहीं भी फंसे या असहाय महसूस करें तो तुरंत आपात संपर्क नंबरों का इस्तेमाल करें।
बढ़ती प्राकृतिक आपदा और सरकारी सक्रियता के बीच हिमाचल की वादियों में बेशक इस वक्त संकट के बादल हैं, लेकिन प्रशासन की तैयारियों और आम जनता की एकजुटता के कारण जन-धन की हानि कम करने में निरंतर कोशिशें जारी हैं। पिछले दो दिनों की घटनाएं यह एहसास जरूर दिलाती हैं कि आपदा के दौरान सामूहिक सतर्कता और प्रबंधनों का पालन प्रदेशवासियों के जीवन को सुरक्षित रखने की कुंजी है। हिमाचल एकजुट है—हौंसले और हिम्मत के साथ इस कठिन वक्त का मुकाबला कर रहा है, ताकि प्राकृतिक खूबसूरती और प्रदेश की पहचान बरकरार रह सके।