हिमाचल प्रदेश सरकार ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि बिजली सब्सिडी बंद नहीं होगी और स्मार्ट मीटर से किसी भी कर्मचारी की नौकरी पर खतरा नहीं आएगा।
जानिए क्या बोले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू।
मुझे मालूम था कि जैसे ही मैं हिमकेयर योजना में पिछली भाजपा सरकार के भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार पर बात करूँगा, विपक्ष के लोग सदन से वॉकआउट कर जाएंगे। हिमकेयर योजना प्रदेश के गरीब और आम आदमी की ‘केयर’ के लिए बनी थी, लेकिन भाजपा ने इसे अपने करीबियों को लाभ पहुँचाने की ‘योजना’ बना दिया। हमारी सरकार इस योजना के तहत अब तक 550 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को बिजली सब्सिडी और स्मार्ट मीटर का मुद्दा प्रमुख रहा। विपक्ष ने इस पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि सरकार का किसी भी उपभोक्ता की बिजली सब्सिडी बंद करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि हर उपभोक्ता को पहले की तरह सब्सिडी मिलती रहेगी और भविष्य में इसे और मजबूत करने की योजना भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना पूरी मजबूती से जारी है और सरकार भविष्य में इसे 300 यूनिट तक बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने केवल उन उपभोक्ताओं से अपील की है, जो अपनी इच्छा से सब्सिडी छोड़ना चाहें। अब तक करीब 59 लाख रुपये की बचत केवल उन्हीं लोगों की वजह से हुई है जिन्होंने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ी है।
स्मार्ट मीटर पर उठे सवाल
विधानसभा में भाजपा विधायक सुधीर शर्मा और कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया और उससे जुड़े खर्च पर सवाल उठाए। विपक्ष ने यह भी आशंका जताई कि स्मार्ट मीटर लगने से बिजली विभाग के कर्मचारियों की नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि स्मार्ट मीटर से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी, बल्कि सभी कर्मचारियों को विभाग के अन्य कार्यों में समायोजित किया जाएगा।
सुक्खू ने बताया कि अब तक शिमला, धर्मशाला और शिमला जोन में 6.5 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। बाकी जिलों में यह काम फरवरी 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्मार्ट मीटर न केवल पारदर्शिता लाएंगे, बल्कि बिजली चोरी और बिलिंग से जुड़ी गड़बड़ियों को भी रोकने में मदद करेंगे।
बिजली सब्सिडी और पारदर्शिता का वादा
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता उपभोक्ताओं को राहत देना है। उन्होंने विपक्ष को यह स्पष्ट कर दिया कि एक से ज्यादा मीटर रखने वाले उपभोक्ताओं की भी सब्सिडी बंद नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि पारदर्शी व्यवस्था और तकनीक के प्रयोग से ही ऊर्जा क्षेत्र में सुधार संभव है।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से देखा जाए तो ऊर्जा प्रबंधन में स्मार्ट मीटर को एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यूरोप और एशिया के कई देशों में स्मार्ट मीटर ने बिजली खपत में पारदर्शिता बढ़ाई है और उपभोक्ताओं को अपनी खपत पर नियंत्रण करने का अवसर दिया है। हिमाचल सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए आधुनिक तकनीक को अपनाकर उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देना चाहती है।
हिमाचल प्रदेश सरकार का यह आश्वासन जनता के लिए राहत भरा है कि बिजली सब्सिडी बंद नहीं होगी और स्मार्ट मीटर से किसी की नौकरी पर संकट नहीं आएगा। विधानसभा में उठे सवालों और विपक्ष के दबाव के बावजूद मुख्यमंत्री सुक्खू ने साफ संकेत दिया है कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों से समझौता नहीं करेगी। आने वाले समय में जब स्मार्ट मीटर का विस्तार होगा और सब्सिडी योजनाओं को और मजबूत किया जाएगा, तब हिमाचल प्रदेश ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में एक मिसाल बन सकता है।
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