हिमाचल की जनता के दर्द की आवाज़ बने अनिरुद्ध सिंह, मांगी एनएचएआई से जवाबदेही

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एनएचएआई की लापरवाही ने बढ़ाई हिमाचल में तबाही, पंचायत मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने जताई गहरी नाराज़गी

हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा किए जा रहे सड़क चौड़ीकरण के काम को लेकर अब सरकार के भीतर से भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। पंचायत राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आज हिमसत्ता से बातचीत में एनएचएआई की कार्यप्रणाली पर कड़ा ऐतराज जताया और कहा कि राज्य के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि एनएचएआई के अधिकारियों की कोई जवाबदेही तय नहीं है, और वे आम जनता की शिकायतों को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि जब भी प्रभावित लोग अपनी समस्याएं लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं, तो उन्हें टाल दिया जाता है और सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी जाती है।

अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वयं हाल ही में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने उन इलाकों को भी देखा जहां एनएचएआई द्वारा सड़क चौड़ीकरण के लिए गहरी खुदाई की गई थी और वहां पर लगातार भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि जहां भी एनएचएआई का काम चल रहा है, वहां खुदाई के कारण ज़मीन अस्थिर हो गई है और बारिश में यह क्षेत्रों भूस्खलन के केंद्र बन गए हैं। इससे न केवल जनजीवन प्रभावित हुआ है बल्कि कई घरों और इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है।

शिमला शहर और उसके आस-पास के क्षेत्रों जैसे ढली, संजौली, भट्टाकुफर और टूटीकंडी में स्थिति और भी गंभीर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य के चलते लगातार गहरी खुदाई की गई, जिससे मिट्टी और चट्टानों की पकड़ कमजोर हुई और कई घरों की नींव दरक गई। ढली और संजौली जैसे इलाकों में मकानों के गिरने की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं और इसका मुख्य कारण एनएचएआई की लापरवाह खुदाई बताई जा रही है। सड़क चौड़ीकरण की योजना भले ही आधुनिक विकास के लिए जरूरी हो, लेकिन जिस तरह से इसके लिए प्राकृतिक पर्यावरण और स्थानीय बुनियादी ढांचे की अनदेखी की गई है, वह राज्य की आपदा संवेदनशीलता को और बढ़ा रही है।

पंचायत मंत्री ने कहा कि एनएचएआई ने बड़ी संख्या में पेड़ काटे और जंगल साफ किए लेकिन अब तक एक भी पेड़ दोबारा नहीं लगाया गया। यह सीधे तौर पर पर्यावरण संरक्षण नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने एनएचएआई अधिकारियों पर “तानाशाही रवैये” का आरोप लगाते हुए कहा कि न तो वे राज्य सरकार के प्रतिनिधियों से संवाद करते हैं, न ही स्थानीय निवासियों की समस्याओं को सुनते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब मुख्यमंत्री स्वयं दौरे पर पहुंचे तो भी एनएचएआई के किसी वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी देखने को नहीं मिली।

हिमाचल प्रदेश एक भूकंप और भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्र है, जहां निर्माण कार्यों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए, लेकिन एनएचएआई द्वारा अपनाई जा रही कार्यशैली राज्य की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को नष्ट कर रही है। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मांग की कि केंद्र सरकार को इस पूरे मामले में हस्तक्षेप कर एनएचएआई की जवाबदेही तय करनी चाहिए और उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए जो राज्य में जानमाल के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नागरिकों के साथ है और लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन अगर केंद्रीय एजेंसियां राज्य सरकार से समन्वय किए बिना कार्य करेंगी, तो इसका खामियाजा अंततः आम जनता को भुगतना पड़ेगा। मंत्री ने यह भी संकेत दिए कि यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार एनएचएआई के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कर कार्रवाई की मांग करेगी। वर्तमान में शिमला और आसपास के क्षेत्रों में जो स्थिति बनी है, वह विकास के नाम पर लापरवाही का खतरनाक उदाहरण बनती जा रही है।

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