हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक बार फिर खौफ का माहौल फैल गया जब तीन प्रमुख निजी स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल मिले। इस घटना ने न केवल प्रशासन की चिंता बढ़ा दी, बल्कि छात्रों और अभिभावकों के बीच भी गहरी दहशत फैला दी। एडवर्ड स्कूल (बस स्टैंड के पास), सेक्रेड हार्ट स्कूल (ढली), और सरस्वती पैराडाइज स्कूल (संजौली) को मंगलवार सुबह यह धमकी ईमेल के ज़रिए मिली। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और सभी बच्चों को सुरक्षा के तहत बाहर निकाल लिया गया।
घटना की पुष्टि करते हुए एएसपी शिमला नवदीप सिंह ने बताया कि बम निरोधक दस्ता त्वरित कार्रवाई में जुटा और पूरे कैंपस की छानबीन की गई। दोपहर के लगभग पौने 12 बजे तक सभी बच्चों को अस्थायी रूप से स्कूल परिसर से बाहर रखा गया, जब तक कि परिसर पूरी तरह सुरक्षित घोषित नहीं हो गया। जांच पूरी होने के बाद बच्चों को क्लासरूम में वापस ले जाया गया, लेकिन तब तक बच्चों और उनके अभिभावकों के मन में एक असहजता घर कर चुकी थी।
सबसे गंभीर चिंता का विषय यह है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते पांच महीनों में राज्य के डीसी कार्यालय, एसपी कार्यालय और यहां तक कि राज्य सचिवालय तक को ऐसे ही धमकी भरे ईमेल मिल चुके हैं। हर बार पुलिस अलर्ट पर रही, जांच-पड़ताल हुई, मगर नतीजा शून्य रहा। अब फिर से उसी कड़ी में तीन प्रमुख स्कूलों को टारगेट किया गया है।
सरकारी और खुफिया एजेंसियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुका है कि आखिर कौन है जो बार-बार ईमेल के ज़रिए राज्य में भय फैलाने की कोशिश कर रहा है? साइबर सेल की टीमें इन मेल्स के स्रोत का पता लगाने में जुटी हुई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कड़ी हाथ नहीं लगी है।
स्कूलों को टारगेट करने की यह घटना उस वक्त और भी गंभीर हो जाती है जब इन स्थानों को बच्चों की पढ़ाई और भविष्य का केंद्र माना जाता है। बार-बार इस तरह की धमकियों से शिक्षा व्यवस्था बाधित हो रही है और आमजन में सुरक्षा को लेकर विश्वास डगमगाता जा रहा है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश जैसे शांत और पर्यटन प्रधान राज्य में ऐसी घटनाएं न केवल सामाजिक तानेबाने को झटका देती हैं, बल्कि प्रशासनिक तैयारियों पर भी सवाल खड़े करती हैं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह कोई एक-दो घटनाएं नहीं, बल्कि किसी के संगठित साइबर उत्पात का हिस्सा हैं, जिसे अब तक राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन रोकने में विफल साबित हुए हैं।
इन धमकियों का मकसद चाहे जो भी हो—अफरातफरी फैलाना हो या कानून व्यवस्था को चुनौती देना—यह स्पष्ट है कि अब स्थिति को सामान्य ढर्रे पर नहीं लिया जा सकता। बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा हर मामला संवेदनशील होता है, और इसमें प्रशासन की हर चूक भारी पड़ सकती है।
अब प्रदेश सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह या तो ऐसे अपराधियों का जल्द से जल्द सुराग लगाए या इस साइबर खतरे से निपटने के लिए कोई विशेष टास्क फोर्स गठित करे।
इस बीच, स्कूलों के प्रबंधनों ने अपील की है कि बच्चों को डराने या उनकी शिक्षा में व्यवधान डालने वाली ऐसी घटनाओं को लेकर अभिभावक संयम बनाए रखें, और प्रशासन की ओर से हर स्तर पर सहयोग करें।
शिमला जैसे शांति प्रिय शहर में अगर बार-बार धमकियों का दौर चलता रहा, और जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई, तो न केवल शिक्षा बल्कि राज्य की छवि और सुरक्षा दोनों पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
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