हिमाचल प्रदेश में जारी भारी बारिश (Himachal Pradesh rains) ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। गिरी नदी में आई भीषण बाढ़ ने सिरमौर जिले की बांगड़ान बस्ती को संकट में डाल दिया, जहाँ से प्रशासन ने 50 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। यह कार्रवाई बांगड़ान पुल के समीप नदी द्वारा भूमि कटाव के चलते उत्पन्न खतरे को देखते हुए की गई।
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार गिरी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से नदी किनारे बसी बस्तियों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। तेज़ बहाव की वजह से बांगड़ान नंबर-2 की लिफ्ट सिंचाई योजना (एल.आई.एस.) को भी भारी नुकसान पहुँचा है। इस योजना का सम्पवेल और पांच सबमर्सिबल पम्प सेट नदी में बह गए, जिससे सिंचाई ढांचे को गहरा धक्का लगा है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) पहले ही हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में रेड अलर्ट (IMD red alert) जारी कर चुका है। सिरमौर, शिमला और कांगड़ा जैसे जिलों में अगले 24 घंटों तक भारी से बहुत भारी बारिश के आसार हैं। साथ ही मंडी और हमीरपुर में भी भूस्खलन (landslides) और बादल फटने (cloudburst) जैसी घटनाओं की संभावना बनी हुई है। ऊना, सोलन, बिलासपुर, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को राहत शिविरों में शरण दिलाई है और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। बिजली और संचार सेवाओं के बाधित होने के कारण राहत कार्यों में कठिनाई आ रही है, लेकिन आपदा प्रबंधन दल लगातार प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे नदी-नालों के किनारे जाने से बचें और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।
बारिश से अब तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। हजारों लोग बेघर होकर अस्थायी राहत शिविरों में जीवन गुज़ारने को मजबूर हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी कठिन साबित हो रही है।
हिमाचल प्रदेश में मानसून की यह तबाही एक बार फिर यह याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सतर्कता और प्रशासनिक तैयारियां कितनी ज़रूरी हैं। फिलहाल राज्य सरकार ने नुकसान का आकलन करने और प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से पुनर्वास कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया है।





