बरसात ने मचाई तबाही: धर्मपुर में बसें बहीं, निहरी में तीन की मौत,करोड़ों का नुकसान

0
20

हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की भीषण मार झेल रहा है। भारी बारिश का दौर लगातार जारी है और अब यह केवल मौसम की मार नहीं बल्कि लोगों के जीवन, घर और रोज़ी-रोटी के लिए अभिशाप बन चुका है। देर रात मंडी ज़िले के धर्मपुर क्षेत्र में बादल फटने से मची तबाही ने इस पहाड़ी राज्य के हालात को और अधिक भयावह बना दिया। धर्मपुर बस स्टैंड पर खड़ी एचआरटीसी की कई बसें तेज़ बहाव में बह गईं। आसपास की दुकानें और मकान भी इस त्रासदी की भेंट चढ़ गए। लाखों-करोड़ों की संपत्ति कुछ ही घंटों में मलबे और पानी में तब्दील हो गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रातभर चीख-पुकार और अफरा-तफरी का माहौल रहा। कई लोग अपनी जान बचाने के लिए छतों पर चढ़कर घंटों तक फंसे रहे। पुलिस और प्रशासन ने रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर राहत कार्य शुरू किया, लेकिन अचानक आई इस आपदा ने सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया। बताया जा रहा है कि 6 से 7 लोग लापता हैं, जिनमें प्रवासी मजदूर और स्थानीय निवासी शामिल हैं। सोन खड्ड का जलस्तर अचानक इतना बढ़ गया कि उसने रौद्र रूप धारण कर लिया और बस स्टैंड सहित पूरे इलाके को डुबो दिया।

इसी बीच मंडी ज़िले के सुंदरनगर उपमंडल के तहत निहरी तहसील के ब्रगटा गांव में भी भूस्खलन ने तीन ज़िंदगियां निगल लीं। देर रात हुए इस हादसे में एक मकान पूरी तरह ज़मींदोज हो गया। मलबे में दबकर 64 वर्षीय तांगू देवी, 33 वर्षीय कमला देवी और आठ महीने के मासूम भीष्म सिंह की मौत हो गई। परिवार के अन्य दो सदस्य, 65 वर्षीय खूबराम और 58 वर्षीय दर्शन देवी को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला गया। स्थानीय लोगों ने अपने स्तर पर राहत कार्य शुरू किए, लेकिन पहाड़ी से लगातार गिरते मलबे और रुक-रुककर हो रही बारिश ने बचाव कार्य को बेहद मुश्किल बना दिया है।

एसपी मंडी साक्षी वर्मा ने घटना की पुष्टि की और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। एसडीएम सुंदरनगर अमर नेगी और डीएसपी भारत भूषण सहित अन्य अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हुए, लेकिन ज़्यादातर मार्ग बंद होने के कारण प्रशासनिक टीमों को मौके तक पहुंचने में भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं।

धर्मपुर और निहरी की यह दोहरी त्रासदी हिमाचल प्रदेश के आम लोगों की उस विवशता को उजागर करती है, जो प्राकृतिक आपदाओं के सामने बेबस हो जाते हैं। बारिश ने न केवल मकान और दुकानें उजाड़ दी हैं बल्कि रोज़गार और जीवन की उम्मीदें भी मलबे में दबा दी हैं। छोटे-छोटे कस्बों से लेकर बड़े बाज़ारों तक लोग इस आपदा से जूझ रहे हैं। ऐसे हालात में राहत और पुनर्वास कार्य की रफ्तार बेहद धीमी दिखाई दे रही है।

हिमाचल के पहाड़ आज मानव जीवन की असहायता की गवाही दे रहे हैं। एक ओर परिवार अपनी पूरी संपत्ति बहते पानी में खो चुके हैं, वहीं दूसरी ओर मासूम बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि उस गहरी पीड़ा और असुरक्षा का प्रतीक है जिसमें हिमाचल के लोग हर बारिश के मौसम में जीने को मजबूर हैं।

आज सवाल केवल मौसम या बारिश का नहीं है, बल्कि राज्य की आपदा प्रबंधन व्यवस्था की मजबूती का भी है। आखिर कब तक हिमाचल के लोग प्रकृति के इस कहर के आगे अपनी ज़िंदगी और सपने खोते रहेंगे? कब तक मासूम बच्चों की लाशें मलबे से निकाली जाएंगी और कब तक रोज़गार से जुड़े लोग अपनी मेहनत की दुकानें और घर बहते पानी में गंवाते रहेंगे?

हिमाचल की यह त्रासदी देश के लिए चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन और विकास की अनियंत्रित योजनाओं के बीच आम लोगों की ज़िंदगियां सबसे बड़ी कीमत चुका रही हैं। यहां के लोग आज भीषण पीड़ा में हैं और उनकी पुकार यही है कि उन्हें राहत मिले, उन्हें सुरक्षा मिले और उन्हें प्रकृति के इस कहर से बचाने के लिए ठोस और स्थायी समाधान मिले।

SEO Keywords: हिमाचल प्रदेश बारिश, धर्मपुर बादल फटना, मंडी निहरी भूस्खलन, हिमाचल प्राकृतिक आपदा, बादल फटने से तबाही, हिमाचल बारिश अलर्ट

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here