देश में कीटनाशकों और कीट नाशकों के सेवन से होने वाली दुर्घटनावश मौतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की स्थिति और भी गंभीर दिखाई दी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में इन तीन राज्यों में कुल 1,197 लोगों की जान चली गई, जो राष्ट्रीय स्तर पर करीब 15.5% है।
NCRB के आकड़ों में सामने आया है कि हरियाणा इस सूची में चौथे स्थान पर रहा, जहां 570 मौतें दर्ज की गईं। पंजाब में 549 और हिमाचल प्रदेश में 78 लोगों ने अपनी जान गवाई। इनमें पंजाब में 439 पुरुष और 110 महिलाएं, वहीं हरियाणा में 412 पुरुष और 158 महिलाएं रहीं। हिमाचल प्रदेश में 57 पुरुष और 21 महिलाओं की जान गई।
जानकारों का कहना है कि अधिकतर केस उन किसानों के थे, जिन्होंने खेतों में छिड़काव के दौरान या मोटर रूम में रखे गए जहरीले रसायनों के संपर्क में आकर दम तोड़ दिया। अक्सर किसान ये खतरनाक कीटनाशक खुले में रखते हैं, जिससे यह बच्चों और अन्य लोगों तक भी आसानी से पहुंच जाते हैं। पीड़ितों में बड़ी संख्या कामकाजी आयु वर्ग (30-45 साल) की थी, कुल मृतकों में 71% इसी ग्रुप से थे। सबसे ज्यादा 2493 मौतें 30-45 वर्ष के वर्ग में, जबकि 18-30 वर्ष में 2393 मौतें और 14 साल से कम उम्र के 164 बच्चे भी इसकी भेंट चढ़े।
विशेषज्ञों ने इसके मुख्य कारण के रूप में पैराक्वाट क्लोराइड जैसे शक्तिशाली घातक खरपतवारनाशक का बेजा इस्तेमाल बताया है, जिसे जलाने के बजाय फसलों को जल्दी सूखाने के लिए भी पंजाब में प्रयोग किया जाता है। यह स्थिति राज्य सरकार और किसानों, दोनों के लिए चेतावनी है कि आगे कीटनाशक रसायनों के संग्रहण और उपयोग को लेकर गंभीर कदम उठाए जाएं।
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