हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह शुभ अवसर शनिवार, 1 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह वही दिन है जब भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में पुनः शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी, देवउठावनी एकादशी या हरि प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस बार की देव उठनी एकादशी विशेष होने के साथ ही चुनौतीपूर्ण भी है, क्योंकि इस दिन भद्रा और पंचक दोनों का साया रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों कालों को शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल माना गया है, इसलिए देव जागरण के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
देव जागरण का शुभ मुहूर्त और पंचांग विवरण
देव जागरण का शुभ समय शाम 6 बजकर 1 मिनट से रात 8 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
एकादशी तिथि का प्रारंभ 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 13 मिनट से होगा और समापन 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 33 मिनट पर होगा। व्रत का पारण मुहूर्त 3 नवंबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
भद्रा काल 1 नवंबर को रात 8 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 2 नवंबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पंचक काल भी पूरे दिन प्रभावी रहेगा। ज्योतिष में शनिवार को पड़ने वाली पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है, जिसे विशेष रूप से अशुभ माना जाता है।
देव उठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
देव उठनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागरण का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही मांगलिक और शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार और नए व्यापार की शुरुआत का शुभ समय प्रारंभ हो जाता है।
इस दिन से भीष्म पंचक व्रत की भी शुरुआत होती है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। यह पांच दिन का काल तप, जप, दान और उपवास के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
देव उठनी एकादशी का व्रत फल
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ देव उठनी एकादशी का व्रत करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से उसके जीवन में समृद्धि और शांति का वास होता है।
सावधानी और पूजन विधि
इस वर्ष भद्रा और पंचक के कारण श्रद्धालुओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। भद्रा काल में शुभ कार्यों से परहेज करना चाहिए। भगवान विष्णु के जागरण के लिए शाम के शुभ मुहूर्त में तुलसी दल अर्पित कर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करना शुभ माना गया है।
देव उठनी एकादशी के साथ ही विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्तों की शुरुआत होती है। इसलिए यह तिथि न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
संक्षेप में
1 नवंबर को देव उठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
देव जागरण का समय – शाम 6:01 बजे से रात 8:02 बजे तक।
भद्रा काल – रात 8:27 बजे से अगले दिन सुबह 6:34 बजे तक।
एकादशी पारण – 3 नवंबर सुबह 6:15 से 8:32 बजे तक।
इस प्रकार, देव उठनी एकादशी 2025 का यह पर्व भक्तों के लिए भक्ति, पुण्य और नई शुरुआत का संदेश लेकर आ रहा है।





