हिमाचल को झकझोर देने वाली घटना: तेज़ाब हमले में मंडी की महिला ने PGI चंडीगढ़ में तोड़ा दम, पति पर हत्या का आरोप गहराया

मंडी/चंडीगढ़ — हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में तेज़ाब हमले का शिकार हुई महिला ने आखिरकार PGI चंडीगढ़ में जिंदगी की जंग हार दी। यह दर्दनाक घटना पूरे प्रदेश को हिला रही है और महिलाओं की सुरक्षा, घरेलू हिंसा और सामाजिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

41 वर्षीय ममता, जो सैण मोहल्ला (मंडी) की रहने वाली थीं, पर उनके पति नंदलाल ने कथित रूप से तेज़ाब फेंका था और इसके बाद उन्हें ऊपर से धक्का देने का भी आरोप है। इस हमले में ममता का लगभग 50 प्रतिशत शरीर जल गया था। मंडी में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें ज़ोनल अस्पताल, फिर AIIMS बिलासपुर रेफर किया गया, और अंत में गंभीर संक्रमण के चलते PGI चंडीगढ़ भेजा गया, जहां कल रात उन्होंने दम तोड़ दिया।

घटना कैसे हुई?

पड़ोसियों और परिजनों की जानकारी के अनुसार, पति-पत्नी के बीच काफी समय से तनाव चल रहा था। घटना वाले दिन दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि नंदलाल ने घर में रखे तेज़ाब को ममता पर फेंक दिया। इससे वह बुरी तरह झुलस गईं। घायल हालत में उन्हें मंडी अस्पताल ले जाया गया।

मंडी पुलिस ने सूचना मिलने पर तुरंत आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया था। पहले मामला हत्या की कोशिश (Attempt to Murder) के तहत दर्ज किया गया था, लेकिन अब ममता की मौत के बाद पुलिस इसे हत्या के मामले में बदलने की तैयारी कर रही है।

PGI में मौत से हड़कंप

PGI चंडीगढ़ के डॉक्टरों के अनुसार, तेज़ाब के गहरे घावों में संक्रमण तेज़ी से फैल रहा था। सांस लेने में कठिनाई, त्वचा का जलना और आंतरिक संक्रमण लगातार बढ़ता रहा। हर प्रयास के बावजूद, उनकी हालत स्थिर नहीं हो सकी और सोमवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

समाज और प्रदेश में बढ़ती चिंता

मंडी की यह घटना सिर्फ एक घरेलू कलह नहीं, बल्कि एक खतरनाक और क्रूर अपराध है, जो हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है।

तेज़ाब हमले ऐसी घटनाएँ हैं, जो न केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा को भी तोड़ देती हैं। हिमाचल जैसे शांत राज्य में ऐसे मामले सामने आना चिंताजनक है। समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान और सुरक्षा मानकों के गिरने का संकेत भी यह घटना देती है।

सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
क्या ऐसे मामलों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठ रहे हैं?
क्या घरेलू हिंसा के मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है?
क्या महिलाओं को समय रहते सुरक्षा मिल पा रही है?

यह घटना स्पष्ट संदेश देती है कि केवल अपराधी की गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं। प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक नीति और तेज़ कार्रवाई की ज़रूरत है।

महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

हिमाचल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है—

  • घरेलू हिंसा
  • दहेज प्रताड़ना
  • छेड़छाड़
  • और अब तेज़ाब हमला

यह सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है और महिलाओं के लिए भय का माहौल बनाता है।

क्या होना चाहिए?

  1. घरेलू हिंसा के मामलों के लिए तेज़-तर्रार हेल्पलाइन और रिज़ॉल्यूशन सिस्टम।
  2. तेज़ाब की आसान उपलब्धता पर सख्ती।
  3. पीड़िता की सुरक्षा, कानूनी सहायता और पुनर्वास सुनिश्चित करना।
  4. पुलिस और प्रशासन के लिए विशेष प्रशिक्षण।
  5. समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान।

ममता की मौत सिर्फ एक घटना नहीं, एक चेतावनी है।
अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो ऐसे अपराध होते रहेंगे और परिवार बिखरते रहेंगे।

मंडी की इस दुखद घटना ने पूरे हिमाचल को झकझोर दिया है — अब समय है कि सरकार और समाज मिलकर यह सुनिश्चित करें कि किसी और महिला की जिंदगी इस तरह न छीनी जाए।

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