
भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को वैश्विक मानचित्र पर मजबूत स्थान देने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एससीएल (सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी) मोहाली के लिए 4500 करोड़ रुपये का अभूतपूर्व आवंटन किया है। यह निवेश एससीएल को अत्याधुनिक तकनीक, उन्नत शोध सुविधाओं और उच्च क्षमता वाले वेफ़र निर्माण के साथ एक विश्व-स्तरीय सेमीकंडक्टर केंद्र में बदलने की दिशा में निर्णायक साबित होगा।
एससीएल मोहाली, राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन का मुख्य स्तंभ माना जाता है। प्रस्तावित आधुनिकरण योजना के तहत वेफ़र उत्पादन क्षमता का विस्तार, नए FAB ढांचे का निर्माण, और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर विशेष जोर दिया गया है। यह पहल न केवल शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और छात्रों के लिए बड़ी संभावनाओं के द्वार खोलती है, बल्कि देश के बढ़ते तकनीकी इकोसिस्टम को भी मजबूत आधार प्रदान करेगी।
योजना के अनुसार एससीएल में उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं, जिनसे सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और परीक्षण क्षेत्रों में नई पीढ़ी के विशेषज्ञ तैयार होंगे। इस परियोजना से देश की स्टार्ट-अप और तकनीकी नवाचार क्षमता को भी नया आयाम मिलने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि एससीएल मोहाली का निजीकरण नहीं किया जाएगा और इसे राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन के केंद्रीय घटक के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे संस्थान की पहचान और महत्व और अधिक बढ़ेगा।
आधुनिकीकरण कार्यों को गति देने के लिए संस्थान को अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में हालिया चर्चाओं में यह मांग रखी गई कि तकनीकी विस्तार और रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए पंजाब में एससीएल को 25 एकड़ भूमि शीघ्र उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि परियोजना में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह निवेश पंजाब के तकनीकी भविष्य, देश के उद्योग विकास और वैश्विक सेमीकंडक्टर श्रृंखला में भारत की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करेगा।





