न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना,

न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना,

न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना,
तुरंत प्रभाव से वापस हो एफआईआर, ऐसा न होने पर टकराव की पैदा हो सकती है स्थिति

मंडी, 11 अक्तूबर।

हरियाणा चुनाव परिणामों को लेकर हिमाचल के धर्मशाला से चलने वाले एक वेब पोर्टल न्यूज राडार में प्रकाशित एक खबर को आधार मानते हुए उस पर एफआईआर करने की हिमाचल प्रदेश यूनियन आफ जनर्लिस्ट ने कड़ी निंदा की है।
यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष बीरबल शर्मा, महासचिव संगठन कुलदीप चंदेल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलबीर सिंह ठाकुर, महासचिव सुरेंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष राकेश कथूरिया, कोषाध्यक्ष एवं राष्ट्ीय सचिव अदीप सोनी, सलाहकार बलबिंद्र सिंह सोढ़ी, राष्ट्ीय परिषद सदस्य योग राज भाटिया, कमलेश वर्मा, अनिल शर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार की इस कार्रवाई को बेहद बचकाना एवं गैरकानूनी करार दिया है तथा सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री से आग्रह


 

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा न्यूज़ पोर्टल ‘द न्यूज़ राडार’ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस सरकार की पुरानी कार्यशैली है, जो पहले भी इस प्रकार की कोशिशें कर चुकी है। ठाकुर ने मीडिया की स्वतंत्रता और जिम्मेदार पत्रकारिता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मीडिया को अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी चाहिए और सरकार का दायित्व है कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करे।


किया है कि इस एफआईआर को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। यूनियन का कहना है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने ऐसा करके मीडिया के प्रति अपनी जिम्मेवारी को लेकर गलत संदेश दिया है। दो साल के कार्यकाल में व दो बजट पेश करने के बावजूद भी मुख्यमंत्री ने वित मंत्री होते हुए व सरकार ने मीडिया को सुविधा देने, वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन देने, मान्यता नियम सरल करने, कल्याण कोष स्थापित करने, प्रैस क्लब भवनों को पैसा देने या दूसरे किसी भी मीडिया से जुड़े विषय पर कोई भी घोषणा नहीं की। उल्टे अब मीडिया पर एफआईआर करने की शुरूआत हो गई है। सरकार व मुख्यमंत्री को यह ज्ञान होना चाहिए कि कुछ ही रोज पहले भारत के उच्चतम न्यायालय ने साफ तौर पर आदेश दिए हैं कि सरकार की आलोचना करना किसी भी तरह की अवमानना में नहीं आता। इसके बावजूद सरकार के सलाहकारों ने मीडिया की उस खबर जिसमें हरियाणा की हार के लिए पड़ोसी राज्य होने के कारण उसकी घटनाओं का असर पड़ने की खबर प्रकाशित की तो उस पर एफआईआर दर्ज कर दी गई। यूनियन का कहना है कि यह परंपरा सही नहीं है। यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो पूरे प्रदेश का मीडिया जगत इसके विरोध में सड़क पर भी आ सकता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे, संबंध मधुर रहें ऐसे में तुरंत इस एफआईआर को रद्द करे। यदि इस खबर में किसी तरह की कोई आपतिजनक तथ्य हों तो सरकार उसका खंडन कर सकती है उसे लेकर अपना पक्ष रख सकती है मगर सरकार  की हर बात को जनता तक पहुंचाने वाले मीडिया पर सीधे एफआईआर करके सीधा निशाना बनाकर सरकार क्या साबित करना चाहती है। यह सरकार की कोई सही सोच नहीं है। जिस भी सलाहकार ने सरकार को ऐसी सलाह दी है वह एक प्रतिशत भी सरकार का हमदर्द नहीं है बल्कि उसे डुबाने की मंशा से ऐसा कर रहा है। ऐसे में उचित यही है कि इससे पहले कि मीडिया के साथ कोर्ट टकराव बढ़े, इसे तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए।

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