हरियाणा में बीजेपी की जीत को छोटा कर के मत आंकें।
- Anya KhabrenHindi News
- October 12, 2024
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*हरियाणा में बीजेपी की जीत को छोटा कर के मत आंकें।*
*सप्तऋषि सोनी*
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत को कम आंकना एक बड़ी भूल होगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 47 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है, और इसके साथ ही तीन निर्दलीय विधायकों ने भी पार्टी को समर्थन दिया है। यह बीजेपी के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण जीत है, जो लगातार तीसरी बार राज्य में सत्ता में आई है। इस जीत के पीछे कई कारण और रणनीतियाँ हैं, जिन्होंने बीजेपी को इस मुकाम तक पहुँचाया है।
सबसे पहले, अगर चुनावी परिणामों पर नज़र डालें, तो यह साफ़ होता है कि बीजेपी ने हर वर्ग और समुदाय से वोट हासिल किए हैं। चाहे वह जाट समुदाय हो, पंजाबी हो, दलित वर्ग हो, किसान या मजदूर वर्ग हो, सभी ने बीजेपी के पक्ष में वोट डाला। पार्टी की रणनीति ने सभी वर्गों को साधने में सफलता हासिल की है, जो उसके व्यापक जनाधार को दर्शाता है। यह सिर्फ एक पार्टी की जीत नहीं है, बल्कि समाज के सभी हिस्सों में बीजेपी की गहरी पकड़ का संकेत है।
बीजेपी ने हरियाणा की 48 सीटों को सूक्ष्म प्रबंधन के तहत जीतने का लक्ष्य रखा, जिसके लिए पार्टी ने कई कड़े और रणनीतिक निर्णय लिए। सबसे अहम बात यह रही कि पार्टी ने जीतने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा। उम्मीदवार चयन के इस तरीके ने बीजेपी को महत्वपूर्ण सीटें जीतने में मदद की। हरियाणा में जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने जाट बहुल क्षेत्रों और दलितों के गढ़ में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।
बीजेपी की इस जीत में मुख्यमंत्री बदलने का निर्णय भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। पार्टी ने समय रहते यह फैसला किया और नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। सैनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को तेजी से लागू करना शुरू किया, जिससे जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी। इसके अलावा, किसानों के विरोध प्रदर्शनों को संभालने के लिए बीजेपी ने किसानों को विश्वास में लिया और उनकी चिंताओं का समाधान किया। खासकर ‘अग्निवीर सेना योजना’ के तहत बीजेपी ने युवाओं को रोजगार के अवसर देने का वादा किया, जिसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में भी स्पष्ट रूप से दोहराया कि अग्निवीर योजना के तहत किसी भी युवा को रोजगार से वंचित नहीं किया जाएगा। इसने ग्रामीण युवाओं के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजा, जिससे बीजेपी को चुनाव में फायदा मिला।
हिंदुत्व हमेशा से बीजेपी का प्रमुख मुद्दा रहा है, और हरियाणा के चुनाव में भी यह कारगर साबित हुआ। बीजेपी ने इस कार्ड को बड़ी समझदारी से खेला, जो उसके समर्थन आधार को और मजबूत करने में सहायक रहा। पार्टी ने धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से रखा, जिससे उसे व्यापक समर्थन मिला।
दलित वर्ग से जुड़े मुद्दों पर भी बीजेपी ने गहराई से काम किया। पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 9 सीटों पर जीत हासिल की, जो कुमारी शैलजा के प्रभाव वाले क्षेत्रों से आईं। शैलजा खुद इस वर्ग से आती हैं, लेकिन बीजेपी ने उनकी पकड़ वाले इलाकों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। यह दिखाता है कि बीजेपी ने इन क्षेत्रों में सूक्ष्म स्तर पर काम किया और दलित समुदाय के समर्थन को भी अपने पक्ष में करने में सफल रही।
जाट समुदाय, जो हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बीजेपी के लिए एक चुनौती था। लेकिन पार्टी ने इस बार जाट बहुल क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ मजबूत की। बीजेपी ने 7 सीटों पर जाट समुदाय के वोट बैंक को अपने पक्ष में किया, जिससे पार्टी की स्थिति और मजबूत हो गई। यह साबित करता है कि बीजेपी ने सिर्फ परंपरागत वोट बैंक पर निर्भर न रहते हुए सभी समुदायों को साधने की रणनीति अपनाई।
बीजेपी ने टिकट वितरण में भी काफी सावधानी बरती। पार्टी ने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया जो जीतने की क्षमता रखते थे या जिनकी अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ थी। यह रणनीति पार्टी के लिए बेहद सफल साबित हुई, क्योंकि इससे वह प्रभावी तरीके से सीटों पर कब्जा कर सकी। चुनावी मैनेजमेंट और सूझ-बूझ भरी रणनीतियों के चलते बीजेपी ने हरियाणा की राजनीति में अपने पैर और मजबूत किए।
इसके साथ ही, बीजेपी ने अपने चुनावी प्रचार में विकास के एजेंडे को भी प्रमुखता से रखा। पार्टी ने राज्य में विकास परियोजनाओं, रोजगार के अवसरों, और बुनियादी सुविधाओं को सुधारने के वादों के साथ जनता को अपने पक्ष में किया। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसी केंद्रीय योजनाओं का लाभ पहुंचाने के बीजेपी के दावों ने भी जनता का विश्वास जीतने में मदद की। पार्टी ने इन योजनाओं के माध्यम से जमीनी स्तर पर अपनी पैठ बनाई, जिससे मतदाता उससे जुड़े रहे।
कुल मिलाकर, बीजेपी की यह जीत न केवल एक राजनीतिक जीत है, बल्कि यह बताती है कि पार्टी ने हरियाणा की जनता के दिलों में अपनी जगह बना ली है। पार्टी की सूक्ष्म रणनीतियों, हिंदुत्व के मुद्दे, किसानों और युवाओं को साधने की नीतियों ने उसे इस मुकाम तक पहुँचाया है। यह जीत हरियाणा की राजनीति में बीजेपी के स्थायी प्रभाव का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि पार्टी ने राज्य में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बेहद कारगर रणनीतियाँ अपनाई हैं।