खेत में टेंट के नीचे सालों से गुजर-बसर, तरयामली के रौशन के लिए बेकार साबित हो रही हैं सरकार की योजनाएं

खेत में टेंट के नीचे सालों से गुजर-बसर, तरयामली के रौशन के लिए बेकार साबित हो रही हैं सरकार की योजनाएं

खेत में टेंट के नीचे सालों से गुजर-बसर, तरयामली के रौशन के लिए बेकार साबित हो रही हैं सरकार की योजनाएं
बीरबल शर्मा

मंडी, 18 सितंबर। गरीबों, वंचितों व बेसहारा लोगों के लिए रोजाना सुर्खियां बनती बेहिसाब योजनाएं जिला मुख्यालय मंडी से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दं्रग विधानसभा क्षेत्र की तरयामली पंचायत के गांव तरयामली के रौशन लाल के लिए सब बेमानी लगती हैं। रौशन लाल पुत्र देवी  पिछले दस सालों से अपने परिवार से अलग होकर दादा के खंडहर बन चुके ढारे पर टैंट डाल कर उसमें रहने को मजबूर है। भरी बरसात हो या फिर कड़ाके की ठंड उसका यही ठौर है। उसे एक अदद कमरा बनाकर छत मुहैया करवाने के बारे में न तो पंचायत के पास ही कोई योजना लगती है न जिला विकास विभाग और प्रशासन या सरकार के पास। टैंट में अकेला रहता है, उम्र अभी 50 से कम ही है, अपना खाना खुद बनाता है। कभी कभी दिहाड़ी मजदूरी करने निकल जाए तो कुछ पैसे जेब में आ जाने पर इसी टैंट में उसका चूल्हा जल जाता है, अन्यथा भूखे पेट ही गुजारा चलता है। इस बदहाली में रहते रहते उसका हाल फटेहाल साधु जैसा हो गया है।

हैरानी यह है कि यह सब गांव वाले भी देखते हैं, जनप्रतिनिधि और उसके परिवारजन भी देखते हैं मगर किसी ने उसे इस नरक से बाहर निकालने की नहीं सोची। यदि सोची होती तो आज वह इस हाल में नहीं होता। गांव के एक जागरूक नागरिक ने मीडिया तक यह बात पहुंचाई और बताया कि शायद इसे पढ़ कर कोई उसे इस नरक से बाहर निकाल कर जीने के बुनियादी अधिकार को बहाल कर दे। बताते हैं कि परिवार के साथ उसकी अनबन है। साथ में कुछ मीटर दूरी पर उसकी पत्नी व बच्चे रहते हैं। पत्नी ने अपना मकान अपने मायके की मदद से बनाया है। उसके पिता व भाई का मकान भी गांव में ही है। बताते है कि कभी उसके दादा का यहां कच्चा मकान हुआ करता था। उसमें यह रहने लगा। मकान गिर गया बस टूटी फूटी दीवारें जैसी रह गई। फिर उसे किसी ने एक तिरपाल दे दिया या उसने खुद जुगाड़ कर लिया और उसके नीचे बारिश, धूप, ठंड भले ही कोई भी मौसम हो, उसकी में सर छुपा कर जीने लगा। बताते है कि दस साल से उसकी यही स्थिति है। इस बारे में पंचायत प्रधान दुनी चंद के मोबाइल पर कई बार संपर्क करना चाहा मगर नहीं मिल पाया। वार्ड मैंबर महेंद्र सिंह ने संपर्क करने पर बताया कि रौशन लाल की जमीन शाढला जो कटिंडी पंचायत में है में पड़ती है। उसी पंचायत में उनकी एंट्री है। यूं तरयामली में भी उसकी जगह है। उसकी पत्नी व बच्चे अलग मकान जो उसके मायके वालों ने बनाया है में रहते हैं। परिवार में अनबन के चलते यह सब स्थिति आई है।

Government Schemes Seem Useless for Roshan of Taryamli, Living Under a Tent in His Own Field for Years

#Poverty #GovernmentSchemes #Homelessness #RuralIndia #HumanRights #Taryamli

Related post

जलते हैं केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे?

जलते हैं केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे?

जलते हैं केवल पुतले, रावण बढ़ते जा रहे? दशहरे पर रावण का दहन एक ट्रेंड बन गया है। लोग इससे सबक…
न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना,

न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की…

न्यूज राडार वेब पोर्टल पर एफआईआर करना मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना, तुरंत प्रभाव…
परमार्थ स्कूल ककड़ियार में किया रामलीला का मंचन 

परमार्थ स्कूल ककड़ियार में किया रामलीला का मंचन 

परमार्थ स्कूल ककड़ियार में किया रामलीला का मंचन  हमीरपुर। महाअष्टमी और नवमी के उपलक्ष पर परमार्थ इंटरनेशनल स्कूल ककड़ियार के विद्यार्थियों…

Leave a Reply

Your email address will not be published.