हरियाणा में नगर निगम मेयर चुनाव पर संशोधन का इंतजार: कानून और नियमों में विरोधाभास जारी

हरियाणा में नगर निगम मेयर चुनाव पर संशोधन का इंतजार: कानून और नियमों में विरोधाभास जारी

मेयर चुनाव का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रावधान
हरियाणा में नगर निगमों के मेयर पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव तो हो रहे हैं, लेकिन कानून में आज भी अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान मौजूद है। हाल ही में, 2 मार्च 2025 को हरियाणा के 9 नगर निगमों – फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, रोहतक, यमुनानगर, अम्बाला और सोनीपत में मेयर चुनाव संपन्न हुए। इनमें से अम्बाला और सोनीपत में केवल उपचुनाव हुए, जिनकी अवधि मात्र 10 महीने है। मतदान प्रतिशत में सबसे अधिक 67.3% मानेसर में और सबसे कम 28.8% सोनीपत में रहा।

कानून में संशोधन का अभाव: धारा 53 का विरोधाभास
एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में अब तक उपयुक्त संशोधन नहीं हुआ है, जिससे विरोधाभास बना हुआ है। सितंबर 2018 में हरियाणा विधानसभा द्वारा अधिनियम में संशोधन कर मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव कराने का प्रावधान किया गया था, लेकिन धारा 53 में बदलाव नहीं किया गया। इस धारा के अनुसार, नगर निगम के आम चुनाव के बाद पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से मेयर का चुनाव कराने की बात कही गई है।

अप्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया
धारा 53 के अनुसार, अगर पहली बैठक में मेयर पद के उम्मीदवारों को समान वोट मिलते हैं, तो चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने वाले सदस्य लॉटरी सिस्टम (ड्रा ऑफ लोट) के माध्यम से विजेता मेयर का चयन करते हैं। यह प्रावधान प्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत है, जो स्पष्ट रूप से कानून और वास्तविकता के बीच विरोधाभास को दर्शाता है।

नियम 71 और धारा 53 में विरोधाभास
14 नवंबर 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के नियम 71 में संशोधन कर यह प्रावधान किया गया कि प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित मेयर को पहली बैठक में शपथ दिलाई जाएगी। परंतु, धारा 53 में अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान होने से एक स्पष्ट कानूनी विरोधाभास उत्पन्न हो गया है। एडवोकेट हेमंत का कहना है कि किसी कानून की धारा और नियमों में विरोध होने पर कानून की धारा को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि उसे विधानसभा द्वारा पारित किया गया होता है।

कानूनी विशेषज्ञ की राय और राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र
एडवोकेट हेमंत कुमार ने हाल ही में राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में तत्काल संशोधन किया जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि संशोधन को 4 अक्टूबर 2018 से प्रभावी माना जाए, जब से मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान लागू हुआ था। यह संशोधन न केवल कानूनी पेंच को दूर करेगा, बल्कि राज्य निर्वाचन आयोग को प्रत्यक्ष चुनाव कराने की पूर्ण वैधानिक मान्यता भी प्रदान करेगा।

संशोधन न होने की स्थिति में कानूनी जटिलता का खतरा
अगर धारा 53 में संशोधन नहीं हुआ तो आगामी दिनों में कानूनी पेचिदगियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसके चलते न केवल मेयर पद पर विवाद खड़े हो सकते हैं, बल्कि नगर निगमों के कामकाज में भी अवरोध आ सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर निर्णय लेना होगा।

निष्कर्ष: जल्द संशोधन की जरूरत
हरियाणा के नगर निगमों में मेयर चुनाव की प्रक्रिया को स्पष्ट और कानूनी रूप से मजबूत बनाने के लिए धारा 53 में संशोधन अत्यंत आवश्यक है। अगर यह संशोधन शीघ्र नहीं किया गया, तो राज्य में मेयर पद को लेकर कानूनी संकट गहरा सकता है। राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को मिलकर इस पर ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि नगर निगमों का कामकाज सुचारू रूप से चल सके।

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