पांगी: चार पंचायतों में मनाया गया दशालू मेला, बर्फबारी में भी दिखी आस्था

पांगी: चार पंचायतों में मनाया गया दशालू मेला, बर्फबारी में भी दिखी आस्था

दशालू मेले का महत्व:

  • पांगी: दशालू मेले ने बर्फबारी के बीच भी बिखेरा खुशियों का रंग


दशालू मेला पांगी घाटी के 12 दिवसीय जुकारू उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मिंधल माता के चमत्कार के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि दसवें दिन बर्फबारी के बीच मिंधल माता का ठाठड़ी (चेला) 27 किलोमीटर पैदल चलकर मंदिर पहुंचता है और बर्फ के गोले से मंदिर का कपाट खोलता है। पहले इस मेले में बलि प्रथा का रिवाज था, लेकिन अब सरकार के आदेशों के बाद केवल नारियल व अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है। मिंधल, पुर्थी, रेई और शौर पंचायतों में मनाया जाने वाला यह मेला पांगी घाटी की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। भारी बर्फबारी के बावजूद लोगों की आस्था कम नहीं होती और मेले में उत्साह देखने को मिलता है। यह मेला न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है बल्कि सामाजिक समरसता को भी मजबूत करता है। स्थानीय लोगों को इससे आर्थिक लाभ भी होता है। कुल मिलाकर, दशालू मेला पांगी घाटी की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दशालू मेला पांगी घाटी का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह लोगों को एकजुट करता है, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है और पर्यटन को बढ़ावा देता है।
पौराणिक महत्व:

  • मिंधल माता मंदिर में 10वें दिन विशेष पूजा अर्चना होती है।
  • माना जाता है कि इस दिन मिंधल माता बर्फ के गोले से मंदिर का कपाट खोलती हैं।
  • मिंधल गांव के लोग हाथों में पवित्र पुष्प (जेब्रा) लेकर मेना पंडाल पहुंचते हैं।
  • विश्व कल्याण के लिए पूजा अर्चना की जाती है।
  • मिंधल माता का ठाठड़ी (चेला) मंदिर से सुई लेने जाता है।
  • पहले बलि प्रथा थी, अब नारियल व अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है।

सांस्कृतिक महत्व:

  • पांगी घाटी के चार पंचायतों में मनाया जाता है।
  • लोगों में उत्साह और आस्था देखने को मिलती है।
  • ढोल-नगाड़े के साथ पवित्र पंडाल में मेले का आयोजन होता है।
  • घाटी के विभिन्न पंचायतों से लोग आते हैं।
  • मिंधल माता का मुख्य ठाठड़ी 27 किलोमीटर पैदल चलकर मिंधल गांव पहुंचता है।

सामाजिक महत्व:

  • लोगों को एकजुट करता है।
  • सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है।
  • पर्यटन को बढ़ावा देता है।

दशालू मेले की विशेषताएं:

  • 12 दिवसीय जुकारू उत्सव का 10वां दिन।
  • मिंधल माता के प्रति आस्था का प्रतीक।
  • बर्फबारी के बीच भी लोगों का उत्साह।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
  • पारंपरिक व्यंजनों का आनंद।

Related post

Allegations of BJP’s “Operation Lotus” in Punjab Spark Controversy

Allegations of BJP’s “Operation Lotus” in Punjab Spark Controversy

Allegations of BJP’s “Operation Lotus” in Punjab Spark Controversy: AAP Claims Attempts to Lure Away MLAs The Aam Aadmi Party (AAP)…
“BJP Unveils Star-Studded Campaign Lineup for Bihar and West Bengal Elections: Prime Minister Modi, Bollywood Icons, and Key Leaders Lead the Charge!”

“BJP Unveils Star-Studded Campaign Lineup for Bihar and West…

BJP’s Star Campaigners for Bihar MP and West Bengal Elections The Bharatiya Janata Party (BJP) has released the list of its…
Haryana CM Nainab Saini to Contest Karnal Assembly By-Election

Haryana CM Nainab Saini to Contest Karnal Assembly By-Election

Haryana CM Nainab Saini to Contest Karnal Assembly By-Election Haryana Chief Minister Nainab Saini is set to contest the upcoming Karnal…

Leave a Reply

Your email address will not be published.