हिमाचल सरकार पर भर्तियों में पक्षपात का आरोप, भाजपा नेता रणधीर शर्मा ने की पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग

हिमाचल सरकार पर भर्तियों में पक्षपात का आरोप, भाजपा नेता रणधीर शर्मा ने की पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग



शिमला: भाजपा नेता और नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर सरकारी नौकरियों में बड़े पैमाने पर धांधली और पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा दो अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी कर 14 लोगों की नियुक्ति की गई, लेकिन इन नियुक्तियों में पारदर्शिता के बजाय केवल कुछ गिने-चुने विधानसभा क्षेत्रों को ही लाभ दिया गया। शर्मा ने आरोप लगाया कि इनमें से पांच नियुक्तियां विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र चंबा से, पांच मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर से, और दो से तीन उपाध्यक्ष के निर्वाचन क्षेत्र सिरमौर से की गई हैं।

रणधीर शर्मा ने इस पक्षपातपूर्ण भर्ती प्रक्रिया की कड़ी निंदा की और इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन भर्तियों में पारदर्शिता बरती गई? क्या इनमें मेरिट और आरक्षण का पालन किया गया? अगर किया गया तो फिर केवल इन तीन जिलों के ही लोगों को क्यों नियुक्त किया गया? क्या पूरे हिमाचल प्रदेश में योग्य उम्मीदवारों की कमी थी? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने अपने करीबियों को नौकरी देने के लिए इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की। उन्होंने यह भी दावा किया कि किसी के ड्राइवर के बेटे को नौकरी दी गई, तो किसी के सोशल मीडिया प्रभारी को सरकारी पद दे दिया गया। उन्होंने इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ एक भद्दा मजाक करार दिया।

भाजपा नेता ने याद दिलाया कि सरकार ने पांच लाख सरकारी नौकरियां योग्यता और आरक्षण के आधार पर देने की गारंटी दी थी, लेकिन हाल ही में हुई भर्तियों ने सरकार की इस घोषणा की पोल खोल दी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यही सरकार कुछ महीने पहले संविदा कर्मचारियों को हटाने का काम कर चुकी है। नवंबर और दिसंबर 2024 में बिजली विभाग के कर्मचारियों के अनुबंध नवीनीकरण से इनकार कर दिया गया था, जिससे सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। लेकिन, उसी सरकार द्वारा अपने करीबी लोगों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया जा रहा है, जो कि अन्यायपूर्ण और निंदनीय है।

रणधीर शर्मा ने मांग की कि इन नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जांच की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि जारी की गई सूची में नाम और पते खुद ही यह स्पष्ट कर रहे हैं कि इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। उन्होंने मांग की कि इन भर्तियों को तुरंत रद्द किया जाए और पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर मेरिट और आरक्षण के आधार पर नई नियुक्तियां की जाएं, जिससे प्रदेश के युवाओं का सरकारी तंत्र पर विश्वास बना रहे। भाजपा इस मुद्दे को मजबूती से उठाएगी और प्रदेश के युवाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेगी।

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