लगातार  2 लो.स. चुनाव और एक वि.स. चुनाव  में  खराब प्रदर्शन से छिन सकता है इनेलो का हरियाणा में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा

लगातार  2 लो.स. चुनाव और एक वि.स. चुनाव  में  खराब प्रदर्शन से छिन सकता है इनेलो का हरियाणा में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा

लगातार  2 लो.स. चुनाव और एक वि.स. चुनाव  में  खराब प्रदर्शन से छिन सकता है इनेलो का हरियाणा में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा

26 वर्ष पूर्व 1998 में 12 वीं  लो.स. चुनाव में प्रदर्शन‌ के  आधार पर मिली थी इनेलो  को  मान्यता – एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ – 4 जून 2024  18 वीं लोकसभा आम चुनाव के नतीजों में बेशक हरियाणा में सत्तारूढ़‌ भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस  को‌ कुल 10 में से 5-5 लोकसभा सीटों पर जीत प्राप्त हुई परंतु जहाँ तक प्रदेश के दो मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों – इनेलो  ( इंडियन नेशनल लोक दल) और जजपा ( जननायक जनता पार्टी)  का विषय है, उन्हें  किसी भी  सीट पर जीत मिलना  तो दूर, प्रदेश भर में सम्मानजनक वोट प्रतिशत भी प्राप्त नहीं हुआ.
पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों  का  अध्ययन करने के बाद बताया कि ताजा 18 वीं  लोकसभा  चुनाव  में हरियाणा में भाजपा का वोट प्रतिशत 46.11 %  जबकि कांग्रेस का 43.67 %  रहा. वही इनेलो का  1.74 % और जजपा का 0.87 % रहा. आम आदमी पार्टी ( आप) जिसे  गत वर्ष 2023 से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है, का प्रदेश में  वोट प्रतिशत 3.94 % रहा हालांकि उसने केवल एक कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर ही चुनाव लड़ा था.
बहरहाल, इस सबके बीच  इनेलो और जजपा को  क्षेत्रीय दल के तौर पर  प्राप्त मान्यता  पर  सवाल उठ रहे हैं और ऐसा कहा जा रहा कि ताजा लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण दोनों का हरियाणा में  क्षेत्रीय दल का दर्जा‌ चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है.
 इसी बीच हेमंत ने  मौजूदा लागू  कानूनी प्रावधानों  का हवाला देते हुए बताया कि
चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 1968 के अनुसार  किसी भी राजनीतिक पार्टी को  मान्यता प्राप्त राज्ययी ( क्षेत्रीय) दल के रूप में दर्जा प्राप्त करने और कायम रखने के लिए   प्रदेश के विधानसभा आम चुनाव में न्यूनतम 6 प्रतिशत वोट और   कम से कम दो सीटें (अर्थात विधायक ) जीतना आवश्यक है  अथवा विधानसभा की कुल सीटों की संख्या की‌ न्यूनतम तीन प्रतिशत सीटें या तीन सीटें , जो भी अधिक हों , जीतनी जरूरी होती हैं.
वही इसके एवज़ में  प्रदेश में लोकसभा  आम चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और   न्यूनतम एक सीट (अर्थात सांसद ) जीतना आवश्यक है
 इसके अलावा कोई सीट न जीतकर भी कोई पार्टी  विधानसभा या लोकसभा आम चुनाव में कुल पड़े वैध वोटों का 8 प्रतिशत हासिल करने पर भी क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो सकती है  या कायम रख सकती है. इनेलो को 26 वर्ष पूर्व 1998 में  12 वी लोकसभा आम चुनाव में   हरियाणा में 4 लोकसभा सीटें जीतने के बाद क्षेत्रीय दल‌ का दर्जा  मिला था जो आज तक  चल रहा है.
बहरहाल   5 वर्ष पूर्व   मई, 2019 में 17 वीं लोकसभा आम चुनाव में  हरियाणा में  इनेलो को‌ केवल 1.9 % वोट प्राप्त हुए थे जबकि किसी लोकसभा सीट पर उसकी जीत नहीं हुई.‌ उसके बाद  अक्तूबर, 2019  में  हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में  इनेलो को‌ 2.44 %  ही वोट मिले और उसके इकलौते विधायक  अभय सिंह चौटाला  ही ऐलनाबाद सीट से विजयी हुए.
चूंकि हरियाणा में क्षेत्रीय दल
इनेलो उपरोक्त सभी निर्धारित पैमानों पर हरियाणा में मई, 2019 में 17 वी लोकसभा आम चुनाव में, फिर
अक्टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव और अब 18वीं‌‌ लोकसभा आम चुनाव  में
असफल रहा है, इसलिए  उसका हरियाणा में   मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा और आरक्षित चुनाव चिन्ह अर्थात चश्मा ( ऐनक) चुनाव आयोग द्वारा छीना जाना  तोर बनता है हालांकि अगर चुनाव आयोग इनेलो को‌‌ एक और आम चुनाव में प्रदर्शन‌ सुधारने की विशेष रियायत देना चाहे, तो वह ऐसा भी कर सकता है.
हेमंत ने यह भी बताया कि अगस्त 2016 में चुनाव आयोग द्वारा उक्त 1968  आदेश में संशोधन कर  यह
उल्लेख किया गया कि अगर किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को एक आम चुनाव में न्यूनतम वोट/सीटें प्राप्त नहीं होती तो उसके मान्यता प्राप्त दर्जे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु उससे  अगले आम चुनाव में उसकी मान्यता उन  चुनाव में उसके प्रदर्शन पर अर्थात उसके द्वारा  न्यूनतम सीटें/वोट हासिल करने पर भी निर्भर होगी. यह अब इनेलो  पर लागू नहीं होगा क्योंकि मई ,2019 और  मई, 2024 में  लगातार दो‌ लोकसभा आम चुनावो  और  साथ साथ  अक्तूबर, 2019 के हरियाणा विधानसभा‌ आम चुनाव में  इनेलो का चुनावी प्रदर्शन
निर्धारित पैमानों के अनुरूप नहीं रहा.
वही जहाँ तक जजपा के  क्षेत्रीय दल के तौर पर मान्यता का विषय है, तो चूंकि उसे वर्ष 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में 10 सीटें जीतने और करीब 15 % वोट शेयर प्राप्त करने कारण यह दर्जा दिया गया है, इसलिए आगामी अक्तूबर, 2024 में निर्धारित हरियाणा विधानसभा चुनाव  तक उसके क्षेत्रीय दल के‌‌ तौर पर‌‌ दर्जे और  चाबी के आरक्षित चुनाव चिन्ह बारे कोई विवाद नहीं है.
इस सबके बीच  पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने भारतीय चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से  सभी आंकड़ों एकत्रित कर उनका  अध्ययन करने और मौजूदा चुनावी कानून प्रावधानों का हवाला देते हुए बताया कि
हेमंत ने बताया  कि  इनेलो पार्टी को 22 वर्ष पूर्व फरवरी, 1998 में हुए लोकसभा  आम चुनावो  में हरियाणा की 10 में से 4 लोकसभा सीटें जीतने के बाद प्रदेश में राज्ययी दल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी एवं चश्मे का चुनाव चिन्ह उसके लिए आरक्षित किया गया था. तब उसका नाम हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय ) होता था जिसे अगस्त 1998 में बदल कर इनेलो कर दिया गया.
बहरहाल, वर्ष 1998 के  बाद आज तक पांच- पांच लोकसभा और विधानसभा आम चुनाव हो चुके हैं जिन सभी में इनेलो ने हरियाणा में चुनाव लड़ा है. अब यह देखने लायक है कि क्या चुनाव आयोग बीते वर्ष 2019 में लगातार दो लोकसभा और विधानसभा आम चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर, जिसमें  राज्ययी दल के लिए निर्धारित पैमानों से इनेलो नीचे रही, के आधार पर इनेलो की मौजूदा मान्यता रद्द करने के संबंध में कोई कार्यवाही करता है अथवा वर्ष 2024 के आम चुनावों तक इनेलो को राहत प्रदान की जाती है ?

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