राजस्थान उपचुनाव में विवाद: नरेश मीणा और एसडीएम के बीच थप्पड़ कांड ने मचाया हंगामा
- Anya KhabrenHindi News
- November 13, 2024
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राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में हुए उपचुनाव के दौरान एक विवादित घटना ने प्रदेश की राजनीति में तूफान मचा दिया है। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम अमित चौधरी को कथित तौर पर थप्पड़ मारा। यह घटना न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी, बल्कि प्रदेशभर में तनाव और हंगामे का कारण भी बनी।
यह विवाद तब उभरा जब मतदान के दौरान नरेश मीणा और एसडीएम के बीच किसी बात को लेकर तीखी बहस हुई। इस दौरान मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मार दिया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वीडियो में नरेश मीणा स्पष्ट रूप से एसडीएम को थप्पड़ मारते हुए दिख रहे हैं, और यह दृश्य किसी राजनीतिक माहौल में आग में घी डालने जैसा साबित हुआ। घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने बीच-बचाव करने का प्रयास किया, और एसपी विकास कुमार ने भी मौके पर जाकर नरेश मीणा से समझाइश दी। लेकिन, नरेश मीणा अपने फैसले पर अडिग रहे और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ धरना देने का फैसला किया।
नरेश मीणा, जिन्हें कांग्रेस ने पार्टी से टिकट नहीं दिया था, अब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। यह स्थिति राजनीतिक हलकों में एक नया मोड़ लेकर आई है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने देवली-उनियारा उपचुनाव में नरेश मीणा को टिकट देने से मना कर दिया था, जिसके बाद नरेश मीणा ने पार्टी से निलंबित होने के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। इस पर कांग्रेस ने अपनी ओर से के.सी. मीणा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
अब जब यह विवाद गहरा गया, तो प्रदेशभर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कई लोग नरेश मीणा के इस कदम को राजनीतिक दबाव और असहमति के परिणामस्वरूप देखते हैं। दरअसल, यह घटना केवल एक शारीरिक विवाद नहीं है, बल्कि राजस्थान की राजनीति के भीतर के गहरे खींचतान और असंतोष को भी उजागर करती है। कांग्रेस पार्टी की ओर से नरेश मीणा को टिकट देने से इंकार करने का असर अब प्रदेश के चुनावी माहौल पर साफ तौर पर दिख रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से यह साबित किया कि राजस्थान की राजनीति में न केवल पार्टी के अंदर मतभेद होते हैं, बल्कि यह मतभेद अब चुनावी मैदान तक पहुंच चुके हैं। नरेश मीणा का इस तरह का बर्ताव, और फिर उनका धरने पर बैठना, यह साफ संकेत देता है कि राजनीति में कभी भी किसी बात को लेकर स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके बावजूद, यह घटना केवल एक शुरूआत हो सकती है, क्योंकि अब जांच जारी है और प्रदेश के लोग इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक इस घटना को न केवल सत्ता संघर्ष का हिस्सा मानते हैं, बल्कि इसे राजस्थान के चुनावी माहौल में एक नई लहर की शुरुआत के रूप में भी देख रहे हैं। प्रदेश में हो रही इस विवादित घटना की सच्चाई जल्द ही सामने आ सकती है, और इससे यह भी स्पष्ट होगा कि राज्य की राजनीति में कड़ी प्रतिस्पर्धा और असहमति किस हद तक जा सकती है।
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