हिमाचल सरकार की ‘समोसा राजनीति’ पर राजेंद्र राणा का तीखा प्रहार:

हिमाचल सरकार की ‘समोसा राजनीति’ पर राजेंद्र राणा का तीखा प्रहार:

विकास छोड़, विरोधियों पर नजर और समोसे की जांच में व्यस्त सीआईडी”
हमीरपुर 8 नवंबर:  सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार और उनकी सीआईडी की कार्यप्रणाली पर कड़ा प्रहार किया है। आज यहां जारी एक बयान में उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था, नशाखोरी, और अपराधों पर नज़र रखने की बजाय सीआईडी का ध्यान मुख्यमंत्री के लिए लाए गए “विशेष समोसों” पर है। उन्होंने कटाक्ष किया कि सीआईडी यह जांच करने में व्यस्त है कि आखिर मुख्यमंत्री के लिए मंगवाए गए समोसे किसने खा लिए, और इसमें भी विपक्ष का हाथ तलाशा जा रहा है।
राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहली बार है कि मुख्यमंत्री के समोसे खाने का मामला मीडिया में प्रमुखता से छपा है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि क्या यही सीआईडी का असल काम रह गया है? क्या इस सरकार के “व्यवस्था परिवर्तन” के नारे का यही मतलब है कि विरोधियों की जासूसी की जाए, उनके फोन टैप किए जाएं, और समोसे के मामले में विपक्ष को दोषी ठहराने की कोशिश की जाए? यह सोचने का विषय है कि आखिर यह सरकार क्यों राजनीतिक प्रतिशोध की आग में जल रही है और जनता के हितों से हटकर ऐसी हास्यास्पद गतिविधियों में व्यस्त है।
राजेंद्र राणा ने तीखे शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री का असली एजेंडा शायद विकास और जनकल्याण नहीं है, बल्कि अपनी छवि को नाटकीय ढंग से चमकाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि जनता के साथ किए गए वादे भूलकर सरकार सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ साधने में लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि सुक्खू सरकार का “जनसेवा” का नारा महज दिखावा है, और असल में सरकार का सारा ध्यान विपक्ष की गतिविधियों पर नज़र रखने और उन पर झूठे केस बनाने में है।
उन्होंने पूछा कि क्या इस सरकार में अब विकास का एजेंडा पूरी तरह से समाप्त हो चुका है? हिमाचल की जनता से किए गए वादे कहां गए? प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था, नशे का बढ़ता प्रकोप, और अन्य अपराधों पर ध्यान देने की बजाय सरकार इस तरह की “समोसा राजनीति” में उलझी हुई है, जो शर्मनाक है। राणा ने मांग की कि सरकार को अपने प्राथमिकता क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जनता को किए गए वादों को पूरा करना चाहिए, न कि ऐसी तुच्छ और हास्यास्पद जांचों में सरकारी संसाधन बर्बाद करने चाहिए।
राजेंद्र राणा के इन शब्दों से सरकार को कड़ा संदेश मिला है, कि प्रदेश की जनता इन घटनाओं को गंभीरता से ले रही है और सरकार को अपने असली एजेंडे पर वापस लौटने की आवश्यकता है।

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