
मकर संक्रांति पर देवताओं की साधना, मनाली के नौ गांवों में 42 दिनों तक देव प्रतिबंध लागू
- Dharam/AasthaHindi NewsKULLU
- January 13, 2025
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मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर मनाली और आसपास के नौ गांवों में एक अनोखी धार्मिक परंपरा की शुरुआत होती है, जहां देवताओं की तपस्या के लिए पूरे गांव में 42 दिनों तक देव प्रतिबंध लगाया जाता है। इस दौरान मनोरंजन के सभी साधनों पर रोक लगती है और ग्रामीण शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखते हैं। सिमसा, गौशाल, कोठी, सोलंग, और पलचान जैसे गांवों में इस परंपरा का पालन किया जाता है। मकर संक्रांति के दिन देवता कंचन नाग, ब्यास और गौतम ऋषि के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, जो 12 फरवरी को फागली उत्सव के अवसर पर पुनः खोले जाएंगे।
गौशाल गांव में देवताओं के आदेश के तहत टीवी, रेडियो, डीजे और अन्य मनोरंजन साधनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। ग्रामीण इस दौरान खेतों में मिट्टी खोदने और कृषि कार्यों से भी दूरी बनाए रखते हैं। मान्यता है कि देवता तपस्या में लीन रहते हैं और उन्हें शांति की आवश्यकता होती है। सिमसा में देव सेनापति कार्तिक स्वामी के मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे, और 12 फरवरी तक इन क्षेत्रों में किसी भी तरह का शोर व ऊंची आवाज में संगीत पूरी तरह वर्जित रहेगा।
देवता के कारदार के अनुसार, घाटी के नौ गांवों के लोग देव प्रतिबंध का पालन करते हुए पूरी श्रद्धा से इस परंपरा को निभाएंगे। मंदिर के कपाट बंद होने से पहले देवताओं की मूर्ति पर विधिवत पूजा कर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप किया जाएगा। यह धार्मिक अनुष्ठान देवताओं की तपस्या और साधना की प्रतीक है।
42 दिनों के इस धार्मिक अनुशासन के समापन के बाद, फागली उत्सव पर मंदिरों के कपाट फिर से खोले जाएंगे। उस दिन देवता भविष्यवाणी भी करेंगे। मंदिर के भीतर लगे लेप से कुमकुम, अनाज के दाने, सेब के पत्ते आदि निकाले जाएंगे, जिनके आधार पर आने वाले वर्ष की भविष्यवाणियां की जाएंगी। माना जाता है कि यह भविष्यवाणियां ग्रामीणों को खेती और मौसम संबंधी निर्णय लेने में मदद करती हैं।
यह परंपरा स्थानीय लोगों की आस्था का गहरा प्रतीक है, जो उनकी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है।
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