सोलन जिले में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास लगातार तेज हो रहे हैं। इसी कड़ी में उपायुक्त सोलन मनमोहन ने हाल ही में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में यह स्पष्ट किया कि कृषि क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए किसानों, वैज्ञानिक संस्थानों, विभागीय अधिकारियों और बाजार से जुड़े विशेषज्ञों के बीच नियमित संवाद अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कृषि सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें भूमि तैयारी, बीज चयन, फसल प्रबंधन, विपणन, प्रसंस्करण और आधुनिक तकनीकों का अपनाना शामिल है। ऐसे में किसी भी चरण की अनदेखी खेती को नुकसान पहुंचा सकती है।
उपायुक्त मनमोहन ने बैठक में यह भी बताया कि किसान आधुनिक तकनीकों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी भी कई किसान पारंपरिक पद्धतियों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि सोलन के अधिक से अधिक किसानों को वैज्ञानिक खेती से जोड़कर उनकी उपज और आय दोनों में वृद्धि सुनिश्चित की जाए। इसके लिए कृषि विभाग, बागवानी विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र और विभिन्न अनुसंधान संस्थान मिलकर एक समन्वित रणनीति पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर प्रतिकूल असर पड़ा है। अनियमित वर्षा, बेमौसम ओलावृष्टि और लंबे समय तक सूखे जैसी समस्याएँ किसानों की चुनौतियाँ बढ़ा रही हैं। इस परिस्थिति में किसानों को जल संरक्षण, ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और मिट्टी सुधार तकनीकों के बारे में लगातार प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उपायुक्त मनमोहन ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन इस दिशा में कई योजनाएँ चला रहे हैं, परंतु इनका सही लाभ तभी मिल सकता है जब किसान इन योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें और सक्रिय रूप से भागीदारी निभाएँ।
उन्होंने बताया कि संवाद की सबसे बड़ी आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हर क्षेत्र की फसलें, मिट्टी और मौसम की परिस्थितियाँ अलग होती हैं। सोलन जिले की भौगोलिक स्थितियाँ विविध हैं, इसलिए यहाँ के किसानों को अलग-अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नियमित बैठकों और फील्ड विज़िट्स के जरिए इन समस्याओं को पहचाना जा सकता है और समय पर समाधान प्रदान किया जा सकता है।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने भी बताया कि कृषि में मूल्य वर्धन (Value Addition) को बढ़ावा देने से किसानों की आय दोगुनी हो सकती है। प्लांटेशन में विविधता लाने, मशरूम और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने और जैविक खेती को बढ़ाने पर भी चर्चा की गई। उपायुक्त ने कहा कि आने वाले समय में कृषि आधारित स्टार्टअप्स को भी सोलन जिले में बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और एक्सपर्ट सेशन में अधिक संख्या में शामिल हों। उन्होंने कहा कि आज का दौर सूचना और तकनीक का है, और जो किसान नई तकनीक अपनाएगा, वही आगे बढ़ेगा। प्रशासन किसानों के लिए हेल्पलाइन, मोबाइल एप्प और सूचना केंद्रों के माध्यम से लगातार अपडेट उपलब्ध कराता रहेगा।
अंत में उपायुक्त मनमोहन ने कहा कि कृषि सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा से जुड़ी जीवनशैली है। इसलिए इसका विकास सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने विभागों को निर्देश दिए कि वे ग्राम स्तर पर संवाद कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाएँ और किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाएँ।
बैठक में कृषि विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधि, किसान प्रतिनिधि और विभिन्न संस्थानों के पदाधिकारी मौजूद रहे। उपायुक्त ने सभी से कहा कि वे मिलकर ऐसी नीति तैयार करें, जो आने वाले वर्षों में सोलन जिले को कृषि के क्षेत्र में एक मॉडल जिला बना सके।






