जातिय जनगणना जातिय संघर्ष कों जन्म देंगी और राष्ट्र की भावात्मक एकता को कमजोर करेंगी- प्रो. दरबारी लाल

जातिय जनगणना जातिय संघर्ष कों जन्म देंगी और राष्ट्र की भावात्मक एकता को कमजोर करेंगी- प्रो. दरबारी लाल

अमृतसर( कुमार सोनी )
पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर एवं इतिहास के प्रो. दरबारी लाल ने केन्द्र सरकार द्वारा जातिय जनगणना के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इस जनगणना से भिन्न भिन्न जातियों में आपसी संघर्ष बढ़ेगा जों राष्ट्र की भावात्मक एकता को कमजोर करेगा। और शासन, प्रशासन और न्यायिक फैसलों पर भी दुरगामी दुष्प्रभाव पड़ेंगे। सरकार भी अपने लक्ष्य को पूरा करने में नाकामयाब होंगी। हकीकत में यह वोट बैंक की राजनीति की बलि चढ़ जाएगा। जनसाधारण को तों इसका फायदा ना के बराबर होंगा। परंतु राजनीतिक दलों की दाल ज़रूर गल जाएगी। देश पहले ही साम्प्रदायिक तनाव में बुरी तरह फंसा हुआ है। और जातिय जनगणना एक नयी परेशानी का सबब बन जाएगी। प्रो. लाल ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माताओं ने विशेष करके डा अम्बेडकर साहिब ने जातिविहीन समाज के निर्माण का फैसला लिया था। सभी भारतीयों कों मजहब़ो मिलत और जाति संकीर्णता को दरकिनार कर सबकों स्वतंत्रता, समानता, आपसी भाईचारे और न्यायिक का अधिकार प्रदान किया है। जब जात- पात संविधान ने ही समाप्त कर दी तों इस मसले कों पुनर्जिवित करके सरकार कया हासिल करना चाहती हैं। सरकार आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को चाहे उनका कोई मजहब या किसी जाति से संबंधित हो तों उपर उठाने के लिए फैसले ले नाकि इस ख़तरनाक मक्कड़ जाल में फंसकर लोगों के लिए एक नया संकट पैदा ना करें ।
प्रो. लाल ने कहा कि भारत के महान एवं गौरवमयी समाज सुधारकों ने हमेशा समाजिक समानता के ईलाही पैगाम से लोगों को नवाजा। जातिय जनगणना से वास्तव में उन महान ऋषि मुनियों, पीर पैंगम्बरो और गुरु साहिबान के पवित्र संदेशों की ही उल्लंघना होगी। एक सर्वे के अनुसार भारत में 47 लाख जातियां और उपजातियां है। जों किसी भी अन्य देश में नहीं है। सरकार गिनती तों कर लेगी पर उनकी समस्याओं के समाधान का रोड़ मैप ज़ारी करें।या इस पर पुनर्विचार करे।

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