पंचकुला, हरियाणा | एक परिवार की सामूहिक आत्महत्या ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। प्रवीण मित्तल और उनके परिवार के छह अन्य सदस्यों ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इस त्रासदी के पीछे का कारण था 20 करोड़ रुपये का भारी कर्ज, जो प्रवीण मित्तल पर था। उनके चचेरे भाई संदीप अग्रवाल ने बताया कि मित्तल परिवार ने एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संदीप को सौंपी गई थी।
कुछ साल पहले, प्रवीण मित्तल ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक स्क्रैप फैक्ट्री स्थापित की थी, जिसे बढ़ते कर्ज के कारण बैंक ने जब्त कर लिया। आर्थिक तंगी से परेशान होकर, मित्तल पंचकुला छोड़कर देहरादून चले गए, जहां वे लगभग छह साल तक परिवार से दूर रहे।
इस दौरान, मित्तल पर 20 करोड़ रुपये का कर्ज था। बाद में, वे पंजाब के खरड़ और फिर हरियाणा के पिंजौर में अपने ससुराल में रहे, और एक महीने पहले पंचकुला लौट आए।
प्रवीण मित्तल, जो हिसार के बरवाला के रहने वाले थे, पंचकुला के सकेत्री क्षेत्र में टैक्सी चालक के रूप में काम कर रहे थे। बैंक ने उनके दो फ्लैट और वाहन भी जब्त कर लिए थे।
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि उन सभी व्यापारियों की कहानी है जो बैंक की बेरुखी और सरकारी उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। बैंक और सरकार की नीतियों ने व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। बैंक अधिकारियों की संवेदनहीनता और सरकार की व्यावसायिक मानसिकता ने लोगों को आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।
बीजेपी सरकार भले ही मंच से कई वादे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। क्या बैंक अधिकारियों को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, या सरकार को इस पर कोई जवाबदेही लेनी होगी?
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