हिमाचल प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल मनाली में मानसून की दस्तक के साथ ही प्राकृतिक आपदा का खतरा मंडराने लगा है। बुधवार को कुल्लू जिले के सोलंग नाला के समीप स्थित अंजनी महादेव नाले में बादल फटने की घटना के बाद अचानक आई बाढ़ ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। हालांकि इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है, लेकिन नदी किनारे बसे लोगों और पर्यटकों की चिंता जरूर बढ़ गई है। पलचान क्षेत्र में स्थिति और अधिक गंभीर हो गई जब सैलाब की वजह से यहां बना एक डंगा बह गया और पुल पर खतरा मंडराने लगा।
घटना के समय अंजनी महादेव क्षेत्र में कोई पर्यटक मौजूद नहीं था, जिससे बड़ी जनहानि टल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नाले में बाढ़ की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि उसे तीन किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण पलचान पुल और उससे सटे सड़क मार्ग पर खतरा और अधिक गहरा गया है। यह वही स्थान है जहां हाल ही में सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सुरक्षा दीवार लगाई थी, जो अब सैलाब की चपेट में आ गई है।
मनाली प्रशासन और जिला पुलिस द्वारा तुरंत स्थिति का जायजा लिया गया। डीएसपी केडी सिंह ने नेहरू कुंड के पास पहुंचकर मौके की स्थिति को परखा और राहत उपायों की समीक्षा की। प्रशासन ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे नदी और नालों के पास न जाएं और सतर्कता बरतें। इसी के साथ, पर्यटकों से भी अनुरोध किया गया है कि वे प्रशासन की सलाह का पालन करें और खतरनाक स्थानों से दूरी बनाए रखें।
बारिश के चलते मनाली की नदी का पानी मटमैला हो गया है, जिससे शहर की पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। बीती रात से कुल्लू जिले में भारी वर्षा हो रही है और मौसम विभाग ने बुधवार के लिए ऑरेंज अलर्ट पहले ही जारी कर दिया था। प्रदेश में मंगलवार को ही मानसून की पूरी तरह से एंट्री हो चुकी थी और उसके ठीक अगले दिन इस तरह की घटना सामने आना चिंता का विषय बन गया है।
पलचान क्षेत्र से एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक स्थानीय महिला यह बताते हुए दिखाई देती है कि बाढ़ की वजह से हाईवे के किनारे का डंगा बह गया है और सड़क का केवल एक संकरा हिस्सा ही बचा है। प्रशासन और BRO की टीमें अलर्ट पर हैं और संवेदनशील इलाकों में निरीक्षण का सिलसिला जारी है।
फिलहाल राहत की बात यह है कि मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सभी पर्यटक और स्थानीय निवासी सुरक्षित हैं। लेकिन अंजनी महादेव जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मानसून के दौरान ऐसे हालात आने वाले समय में और भी गंभीर रूप ले सकते हैं, अगर समय रहते पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्यों में जलवायु परिवर्तन के असर से बढ़ते जोखिम अब किसी चेतावनी की तरह सामने आ रहे हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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