मुख्यमंत्री शगुन योजना बनी बेटियों के सपनों की संजीवनी, सिरमौर की लक्ष्मी देवी को मिली सम्मानजनक विदाई की उम्मीद

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सिरमौर — हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री शगुन योजना आज उन परिवारों के लिए आशा की एक मजबूत किरण बनकर उभरी है, जिनके लिए बेटियों की शादी किसी चुनौती से कम नहीं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की बेटियों के विवाह में आर्थिक सहारा देने की दृष्टि से शुरू की गई यह योजना आज कई घरों में खुशियां और आत्मसम्मान लौटा रही है।

पांवटा साहिब निवासी लक्ष्मी देवी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही समय पर मिलने वाला सरकारी सहयोग एक मां के टूटते सपनों को फिर से संवार सकता है। लक्ष्मी देवी की बेटी साक्षी की शादी एक ऐसा सपना था, जिसे आर्थिक तंगी लगातार धुंधला कर रही थी। सीमित आमदनी और रिश्तेदारों की भी सीमित मदद के चलते साक्षी की शादी एक बड़ी चिंता का कारण बन चुकी थी।

लेकिन जब लक्ष्मी देवी को महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री शगुन योजना के बारे में जानकारी मिली, तो उनकी उम्मीदों को पंख लग गए। उन्हें पता चला कि सरकार बीपीएल परिवारों की बेटियों की शादी के लिए ₹31,000 की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। उन्होंने तुरंत बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय, पांवटा साहिब से संपर्क किया और निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन किया।

आवेदन स्वीकार होने के उपरांत लक्ष्मी देवी को ₹31,000 की सहायता राशि उनके बैंक खाते में प्राप्त हुई। इस आर्थिक सहयोग ने न केवल शादी की तैयारियों को सरल बनाया बल्कि इस बात का भरोसा भी दिलाया कि सरकार समाज के हर वर्ग की गरिमा और जरूरतों को समझती है। साक्षी का विवाह अब किसी बोझ या चिंता के साथ नहीं, बल्कि पूरे सम्मान और खुशी के साथ संपन्न हुआ।

मुख्यमंत्री शगुन योजना को लेकर बाल विकास परियोजना अधिकारी गीता सिंगटा ने भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को दिया जाता है, जिनकी पुत्री की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक और वर की आयु 21 वर्ष से अधिक हो, साथ ही वे बीपीएल सूची में पंजीकृत हों। यहां तक कि यदि विवाह राज्य से बाहर भी हो रहा हो, तब भी योजना का लाभ लिया जा सकता है। आवेदन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी रखा गया है, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सुपरवाइज़र की मदद से या सीधे बाल विकास परियोजना कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है। विवाह से दो महीने पहले या विवाह के छह महीने के भीतर आवेदन की अनुमति दी गई है।

इस योजना के अंतर्गत प्राप्त धनराशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है, जिससे किसी प्रकार की अनियमितता की संभावना समाप्त हो जाती है। यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि राज्य सरकार की उस संवेदनशील सोच को भी दर्शाती है, जो बेटियों को बोझ नहीं बल्कि परिवार की शान मानती है।

लक्ष्मी देवी जैसी अनेकों माताओं के लिए यह योजना एक नई सुबह लेकर आई है — वह सुबह जो उन्हें समाज में सम्मान से जीने और अपनी बेटियों को गर्व से विदा करने का अधिकार देती है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी सरकार का यह कदम निश्चित ही प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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