शिमला — हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई “रोगी मित्र” की अस्थायी भर्ती योजना को लेकर प्रदेश में राजनीतिक और चिकित्सा दोनों स्तरों पर विरोध तेज हो गया है। भाजपा नेता और प्रत्याशी डॉ. राजेश कश्यप ने आज जारी एक बयान में इस योजना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि सरकार का यह निर्णय प्रदेश के हजारों योग्य MBBS डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल युवाओं के साथ खुला अन्याय है। उन्होंने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को कमजोर करने वाला “गैर-वैज्ञानिक और अव्यावहारिक कदम” करार दिया।
डॉ. कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 2,000 से 4,000 MBBS, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक डॉक्टर बेरोज़गार हैं। इसके अलावा हजारों प्रशिक्षित नर्सें और तकनीकी स्टाफ नौकरी की प्रतीक्षा में हैं। ऐसे में सरकार द्वारा स्वीकृत पदों पर नियमित भर्ती करने के बजाय सीमित पात्रता और अल्प प्रशिक्षण वाले “रोगी मित्र” तैनात करना समझ से परे है।
उन्होंने सरकार से सीधे सवाल करते हुए कहा—
“जब अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है, स्वीकृत पद खाली पड़े हैं और जनता का स्वास्थ्य दांव पर लगा हुआ है, तो फिर नियमित स्टाफ भर्ती करने के बजाय अस्थायी रोगी मित्र क्यों? आखिर सरकार किस मजबूरी में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को अस्थायी कर्मियों के भरोसे छोड़ रही है?”
डॉ. कश्यप ने स्पष्ट किया कि “रोगी मित्र” पद न तो पेशेवर योग्यता की पूर्ति करते हैं, न इनके पास करियर ग्रोथ की संभावना है और न ही यह किसी भी प्रकार की दीर्घकालिक सेवा सुरक्षा देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अस्थायी पदों पर आधारित स्वास्थ्य सेवा तंत्र बनाना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ और मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा है।
उन्होंने आगे कहा—
“जब प्रदेश में हजारों योग्य और प्रशिक्षित MBBS डॉक्टर और नर्सें उपलब्ध हैं, तब अस्पतालों को अस्थायी और अल्प-कौशल वाले पदों के सहारे चलाना स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ गंभीर जोखिम खड़ा करता है। यह व्यवस्था न युवाओं के हित में है, न जनता के।”
SEDO की ओर से और एक वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में, डॉ. राजेश कश्यप ने निम्नलिखित मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं—
1. **“रोगी मित्र” योजना को तुरंत समाप्त किया जाए।**
2. **स्वीकृत पदों पर नियमित भर्ती प्रक्रिया बिना देरी शुरू की जाए।**
3. **डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति पारदर्शी, योग्यता आधारित और समयबद्ध हो।**
4. **हिमाचल के अस्पतालों को प्रशिक्षित और योग्य पेशेवरों के भरोसे चलाया जाए, न कि अल्प-कौशल आधारित अस्थायी कर्मचारियों के।**
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जनता को गुणवत्तापूर्ण, पेशेवर और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएँ चाहिए, न कि ऐसे प्रयोग जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। डॉ. कश्यप ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की और कहा कि राज्य के प्रशिक्षित चिकित्सा युवाओं को न्याय मिलना चाहिए।
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की जा रही है, जिससे स्पष्ट है कि “रोगी मित्र” योजना आने वाले समय में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन सकती है।





