हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में एक नाबालिग हिंदू लड़की के कथित अपहरण मामले ने सांप्रदायिक तनाव को भड़का दिया है। मामला माजरा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जहां एक मुस्लिम युवक मोहसीन अली पर गांव की हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने का आरोप लगा है। लड़की बीते पांच जून से लापता है और अब तक पुलिस उसकी बरामदगी नहीं कर पाई है। इस मामले को लेकर शुक्रवार को क्षेत्र में बवाल मच गया, जब प्रदर्शनकारियों ने युवक के घर की ओर कूच कर दिया और इस दौरान दोनों समुदायों के बीच टकराव की स्थिति बन गई।
तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पुलिस पहले से ही क्षेत्र में तैनात थी, बावजूद इसके हालात नियंत्रण से बाहर हो गए। गुस्साई भीड़ ने जब युवक के घर तक पहुंचने की कोशिश की और वह बंद मिला, तो वहां से पथराव शुरू हो गया। हालात इस कदर बिगड़े कि पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। टकराव के दौरान एक एएसआई, एक हेड कॉन्स्टेबल और एक कांस्टेबल समेत कुल 10 लोग घायल हो गए। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का प्रयास किया लेकिन भीड़ लाठी-डंडों से लैस थी और पुलिस के लिए हालात को संभालना चुनौतीपूर्ण होता गया।
स्थिति को गंभीर होता देख स्वयं पुलिस अधीक्षक निश्चित सिंह नेगी, डीएसपी हेडक्वार्टर रमाकांत ठाकुर और एएसपी योगेश रोल्टा मौके पर पहुंचे और मोर्चा संभाला। वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और स्थानीय विधायक सुखराम चौधरी ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर जनता से संयम बनाए रखने की अपील की। आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई एकतरफा रही और प्रदर्शनकारियों पर बिना कारण लाठीचार्ज किया गया। शनिवार को भी माजरा थाने के बाहर पुलिस के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन का ऐलान किया गया है।
घटना के बाद प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 163 (पूर्ववर्ती धारा 144) लागू कर दी है, ताकि किसी भी प्रकार की नई हिंसा को रोका जा सके। पुलिस ने आरोपी के घर के आसपास सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं और इलाके में भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया है।
इस पूरे मामले में एक नया मोड़ तब आया जब शुक्रवार देर रात नाबालिग लड़की ने पुलिस को एक वीडियो भेजा, जिसमें उसने खुद को सुरक्षित बताया और कहा कि उसे पुलिस सुरक्षा की जरूरत है। हालांकि, यह वीडियो कहाँ से भेजा गया और लड़की इस समय किस जगह पर है, इसकी पुष्टि पुलिस द्वारा नहीं की गई है। एसपी निश्चित सिंह नेगी का कहना है कि पुलिस मामले की तह तक पहुंचने के बेहद करीब है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर समाज में उन घटनाओं को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जहां नाबालिग लड़कियां माता-पिता की अनुमति के बिना ऐसे रिश्तों में पड़ जाती हैं जो न केवल परिवारों को तोड़ते हैं, बल्कि सामाजिक तनाव और कभी-कभी हिंसक घटनाओं का कारण बनते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों से लगातार ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जहां लड़कियों द्वारा मुस्लिम युवकों के साथ भाग जाने के बाद उन्हें अत्याचार और जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा है। ऐसी घटनाएं सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक पीड़ा का रूप ले लेती हैं।
इस संदर्भ में यह आवश्यक है कि बेटियां अपने माता-पिता की सलाह को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। प्रेम के नाम पर परिवार छोड़ना, सामाजिक मर्यादाओं को तोड़ना और ऐसे रास्ते पर चल पड़ना जिसकी कोई सुरक्षा या स्थायित्व नहीं हो, बेहद खतरनाक हो सकता है। माता-पिता ही बच्चों के सबसे बड़े हितैषी होते हैं और उनका मार्गदर्शन किसी भी तात्कालिक भावनात्मक निर्णय से कहीं अधिक स्थायी और सुरक्षित होता है।
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