हरियाणा कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की नई शुरुआत, पंचकूला से खिंची रणनीतिक रेखा

0
5

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस पार्टी अब अपनी संगठनात्मक संरचना के नवीनीकरण की ओर तेज़ी से बढ़ रही है और जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया को लेकर पार्टी पूरी तरह एक्टिव मोड में दिखाई दे रही है। राहुल गांधी के हालिया हरियाणा दौरे के बाद अब कांग्रेस हाईकमान की ओर से नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक राज्यभर में नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर बदलाव की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहे हैं।

पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत अहम बैठक आयोजित की गई जिसमें एआईसीसी पर्यवेक्षक लालजी देसाई पहुंचे और उन्होंने पंचकूला जिला कांग्रेस अध्यक्ष के चयन को लेकर सभी वरिष्ठ नेताओं से क्रमवार मुलाकात कर सुझाव लिए। यह प्रक्रिया केवल एक राजनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ऐसी पहल है, जो भारतीय राजनीति में पार्टी लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ रही है।

लालजी देसाई ने इस मुलाकात को संगठनात्मक पुनर्गठन का अनिवार्य चरण बताते हुए कहा कि कांग्रेस अब सत्ता या चेहरों की राजनीति से आगे बढ़कर ज़मीनी कार्यकर्ताओं को नेतृत्व में लाने की रणनीति पर काम कर रही है। “कैडर से लीडर” के सिद्धांत को अपनाते हुए कांग्रेस यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि नेतृत्व का चयन शक्ति प्रदर्शन के बजाय कार्यकर्ताओं की निष्ठा, भागीदारी और ज़मीनी काम के आधार पर हो।

कांग्रेस संगठन की यह पुनर्रचना केवल हरियाणा तक सीमित नहीं है। यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत गुजरात से हुई थी और अब यह हरियाणा में गति पकड़ चुका है। पर्यवेक्षक न केवल ग्रुप मीटिंग्स कर रहे हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी कार्यकर्ताओं की बातें सुन रहे हैं—यह एक ऐसा संवाद है जिसमें पार्टी के निचले स्तर तक के कार्यकर्ता की बात को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

पार्टी के अनुसार, प्रत्येक जिले से पांच नामों की सिफारिश की जाएगी, जो बाद में प्रदेशाध्यक्ष के चयन के लिए निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इस प्रक्रिया में लगभग 45 दिन का समय लगेगा और इसके पश्चात प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की नई तस्वीर सामने आएगी।

दिलचस्प यह भी है कि कांग्रेस इस प्रयास के माध्यम से न केवल संगठन को मजबूत कर रही है, बल्कि पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को भी नया जीवन दे रही है। यह उन तमाम आलोचनाओं का भी जवाब है जो वर्षों से कांग्रेस पार्टी के आंतरिक तंत्र को लेकर उठती रही हैं।

इस तरह का लोकतांत्रिक प्रयास ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय राजनीति के बड़े हिस्से में नेतृत्व का केंद्रीकरण, शक्ति का प्रदर्शन और टिकट वितरण में गुटबाज़ी प्रमुख चुनौती बनी हुई है। कांग्रेस, इस नए मॉडल के ज़रिए एक वैकल्पिक राजनीतिक संस्कृति की नींव रखने की कोशिश में है, जिसमें कार्यकर्ता न केवल अभियान के सिपाही हैं, बल्कि नेतृत्व के दावेदार भी हैं।

हरियाणा में यह प्रयोग राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राज्य अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है और कांग्रेस के पास खुद को मजबूत और संगठित विकल्प के तौर पर स्थापित करने का यही निर्णायक समय है।

#HaryanaCongress #OrganizationalChange #RahulGandhi #IndianPolitics #CongressCadre #PartyDemocracy #PanchkulaMeeting

यह एक ऑटो वेब जनरेटेड न्यूज़ वेब स्टोरी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here