शिमला, 7 जून 2025 — हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला स्थित यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र में चल रहा ‘हिस्सेदारी पुनश्चर्या कार्यक्रम: अनुसंधान पद्धति और प्रकाशन नीति’ आज औपचारिक रूप से ऑफलाइन (Residential) माध्यम से संपन्न हो गया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम इसी विश्वविद्यालय की कुलपति की पहल पर हुई थी, जिसमें इस बार देशभर के 13 राज्यों से कुल 37 प्रतिभागियों ने भागीदारी की।
यह पुनश्चर्या कार्यक्रम इस केंद्र का 354वां आयोजन रहा, जिसे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक प्रो. देवराज ठाकुर थे। कुलपति ने प्रतिभागियों को हिमाचली टोपी, शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, अनुसंधान की पारदर्शिता और प्रकाशन नीति की नवीन दिशा पर विचार साझा किए।
प्रो. महावीर सिंह ने अपने वक्तव्य में प्रतिभागियों को नवाचार और तकनीकी दक्षता को केंद्र में रखकर भविष्य के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और शिक्षण विधियों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चल रहे शैक्षणिक सुधारों के साथ जोड़ते हुए प्रतिभागियों से अपने ज्ञान और अनुभव को अपने-अपने संस्थानों में लागू करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की ओर से प्रो. अश्विनी कुमार ने भी विचार रखे। उन्होंने प्रतिभागियों के अनुभवों, शोध संवादों और प्रस्तुतियों की सराहना की। कुलपति द्वारा दिए गए ‘नए क्षितिजों की खोज’ जैसे प्रेरणादायी संदेश ने समापन सत्र को एक ऊर्जावान और सार्थक दिशा प्रदान की।
अंत में, कार्यक्रम का संचालन प्रो. पुष्पा शर्मा ने किया और समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी और प्रशिक्षक भी मौजूद रहे।
यह एक वेब जनित समाचार कथा है।
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