
हमीरपुर में आंधी-तूफान से भारी तबाही, पेड़ गिरने से मासूम की मौत, 29 लाख रुपये से अधिक का नुक़सान
- Anya KhabrenHAMIRPURHindi News
- April 17, 2025
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हमीरपुर जिले में बुधवार रात आई तेज़ आंधी और तूफानी हवाओं ने जमकर कहर बरपाया, जिससे एक मासूम की जान चली गई और करोड़ों की सरकारी व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। प्राकृतिक आपदा के इस ताज़ा झटके ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि बदलते मौसम की मार ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों पर कितनी भयावह साबित हो सकती है।
तेज हवाओं के कारण जगह-जगह पेड़ धराशायी हो गए, जिससे कई स्थानों पर विद्युत लाइनों को भारी क्षति पहुंची और दर्जनों ट्रांसफॉर्मर प्रभावित हुए। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अनुसार, कुल 1347 विद्युत ट्रांसफॉर्मर और लाइनों को नुकसान पहुंचा, हालांकि प्रशासन और बिजली बोर्ड की तत्परता से अधिकांश क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी गई है।
सबसे दर्दनाक हादसा बड़सर के मिनी सचिवालय के पास स्थित एक झुग्गी बस्ती में सामने आया, जहां एक विशाल पेड़ गिरने से झोपड़ी दब गई और आठ वर्षीय अभिषेक कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक के पिता सरवाग सैहनी, जो कि एक प्रवासी मज़दूर हैं, गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है। यह हादसा केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि किस तरह अचानक बदले मौसम से आमजन के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है।
उपायुक्त अमरजीत सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि जिले में तूफान से प्रभावित इलाकों की पहचान कर ली गई है और सभी संबंधित विभागों को मौके पर पहुंच कर नुकसान का आंकलन करने तथा रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, तीन पक्के मकानों को लगभग 1.30 लाख रुपये, तीन गौशालाओं को 43 हजार रुपये और एक कच्चे मकान को 60 हजार रुपये का नुक़सान हुआ है। इसके अतिरिक्त एक शौचालय को भी क्षति पहुंची है।
हालांकि सबसे ज्यादा आर्थिक चोट बागवानी क्षेत्र को लगी है, जहां फलों और सब्ज़ियों की फसलों को लगभग 26.40 लाख रुपये का नुक़सान होने का अनुमान है। इस तरह बीते 24 घंटों में जिले में कुल नुकसान का आंकड़ा 29.16 लाख रुपये से अधिक तक पहुंच गया है, जो आने वाले समय में और बढ़ सकता है यदि बारिश और तेज़ हवाएं यूं ही जारी रहीं।
प्रशासनिक स्तर पर त्वरित कार्रवाई और जनजीवन को सामान्य बनाने के प्रयासों के बावजूद यह स्पष्ट है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश को और अधिक तैयार रहने की आवश्यकता है। पर्यावरणीय असंतुलन और अनियंत्रित निर्माण कार्यों ने इन आपदाओं की मार को और अधिक गंभीर बना दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी दर्शाया कि ग्रामीण व श्रमिक बस्तियों की सुरक्षा, आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली और त्वरित राहत कार्यों की प्रभावशीलता पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
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