शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार की हाल ही में लागू की गई ‘जॉब ट्रेनी’ पॉलिसी को लेकर प्रदेश की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस नीति को युवाओं के हितों के खिलाफ बताते हुए कड़ा विरोध जताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यह पॉलिसी रोजगार के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली है और इससे न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा प्रभावित होगी बल्कि उनके करियर पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
आप नेताओं का आरोप है कि इस नीति के तहत चयनित युवाओं को दो साल की ट्रेनिंग अवधि में सिर्फ शुरुआती वेतन का लगभग 60 प्रतिशत ही मानदेय दिया जाएगा, जो मौजूदा आर्थिक हालात में बेहद कम है। इसके अलावा इस अवधि में उन्हें नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलेगा, जिससे वे पेंशन, जीपीएफ और सरकारी छुट्टियों जैसे मूलभूत लाभों से वंचित रहेंगे। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद भी स्थायी नियुक्ति के लिए एक दक्षता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता युवाओं पर अतिरिक्त दबाव डालेगी।
पार्टी ने सरकार से अपील की है कि इस जनविरोधी नीति को रद्द कर ऐसी रोजगार योजना बनाई जाए जो युवाओं को न केवल सम्मानजनक वेतन और स्थायित्व दे बल्कि उनके अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित करे। आप ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया, तो राज्यव्यापी विरोध आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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