हिमाचल प्रदेश इन दिनों लगातार प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में है। मूसलाधार बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को गहराई से प्रभावित किया है। शनिवार सुबह बिलासपुर जिले के नम्होल गांव में बादल फटने की घटना ने तबाही का मंजर खड़ा कर दिया। अचानक आए मलबे में कई वाहन दब गए, जबकि गुतराहन गांव के किसान कश्मीर सिंह की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। सौभाग्य से इस घटना में किसी की जान जाने की सूचना नहीं है, जो राहत की बात है।
पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। घुमारवीं क्षेत्र में सीर खड्ड का जलस्तर इस मानसून का अब तक का सबसे ऊँचा स्तर दर्ज किया गया है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। नदियों और नालों के उफान से निचले इलाकों में लोगों की चिंता और दहशत बढ़ गई है।
भूस्खलन की घटनाओं ने प्रदेश भर में सैकड़ों सड़कों को बाधित कर दिया है। इससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है और ग्रामीण इलाकों का संपर्क टूट गया है। वहीं, बिजली और पानी की आपूर्ति व्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ा है। कई क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और पेयजल योजनाएं बाधित हो चुकी हैं, जिसके चलते आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश में कुदरत का यह प्रकोप एक बार फिर राज्य की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को उजागर करता है। बारिश और भूस्खलन से लगातार प्रभावित हो रहे क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेज़ करने की आवश्यकता है ताकि आम जनता को जल्द से जल्द राहत मिल सके।