
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में विश्वविख्यात अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की भव्य शुरुआत हो चुकी है। ढालपुर मैदान देवताओं की उपस्थितियों से एक बार फिर आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन गया है।
सुबह से ही घाटी के कोने-कोने से देवी-देवता भगवान रघुनाथ से मिलन के लिए पहुंचे और पूरा वातावरण ढोल-नगाड़ों और जयकारों से गूंज उठा। माता हिडिंबा के आगमन के साथ ही विशेष पूजा-अर्चना और अश्व पूजन की परंपराएं निभाई गईं। रघुनाथ मंदिर में देव परंपरा के तहत देवताओं का आगमन लगातार होता रहा और भक्तों को आशीर्वाद दिया गया।
राजमहल में भी बंजार के देवता श्रृंगा ऋषि, देवता बालू नाग, जमदग्नि ऋषि, गर्ग ऋषि सहित सैकड़ों देवताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
उत्सव के सबसे बड़े आकर्षण — भगवान रघुनाथ की रथयात्रा — का आयोजन गुरुवार शाम चार बजे किया जाएगा। इससे पहले भगवान पालकी में सवार होकर ढालपुर पहुंच चुके हैं।
सात दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व में हर दिन भक्ति, परंपरा और लोक संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं, जिसमें 1250 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं, वहीं 200 से अधिक देवी-देवता भी इस महोत्सव में शामिल हो रहे हैं।
कुल्लू का दशहरा न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि देव संस्कृति और लोक परंपराओं की जीवंत झलक भी है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।