हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। मंडी के नेरचौक में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंच से पार्टी के दो प्रमुख चेहरों — सांसद कंगना रनौत और अनुराग ठाकुर — दोनों पर अप्रत्यक्ष वार किया। जयराम ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि “भारतीय जनता पार्टी हाईकमान की व्यवस्थाओं के अनुरूप चलने वाली पार्टी है, जहां कोई नेता खुद को सीएम चेहरा घोषित नहीं करता, बल्कि निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व करता है।”
यह बयान उस वक्त आया जब हाल ही में मंडी में सांसद कंगना रनौत ने खुद को एक “योग्य और सक्षम नेता” बताते हुए भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी निभाने की बात कही थी। इसी के बाद पार्टी के भीतर यह चर्चा शुरू हो गई कि कंगना रनौत आने वाले विधानसभा चुनावों में खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही हैं।
जयराम ठाकुर ने बिना नाम लिए तीखे शब्दों में कहा — “कुछ नेता स्वयं ही खुद को प्रमोट करने में लगे हुए हैं। मैं उन्हें यह कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और न ही आगे होगा। क्या आप पार्टी की व्यवस्था से अब तक वाकिफ नहीं हो पाए हैं?”
दरअसल, यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब मंडी में ही सांसद अनुराग ठाकुर के समर्थकों ने “अगला मुख्यमंत्री अनुराग ठाकुर” के नारे लगाना शुरू कर दिया। इस पर भी जयराम ठाकुर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि *“यह पार्टी किसी बड़े नेता को जिताने के लिए नहीं है, बल्कि बड़े नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे पार्टी को जीताएं।”
उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में अगर सभी वरिष्ठ नेताओं ने अपने क्षेत्रों से पार्टी के लिए ईमानदारी से योगदान दिया होता, तो आज हिमाचल में बीजेपी की सरकार होती। जयराम ठाकुर ने यह भी जोड़ा कि आने वाले चुनावों में पार्टी हाईकमान को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि कौन नेता वास्तव में जनसमर्थन जुटा सकता है और पार्टी को सत्ता में वापस ला सकता है।
अपने संबोधन में जयराम ठाकुर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जमकर तारीफ की और उन्हें “संगठन का आधार स्तंभ” बताया। वहीं, अनुराग ठाकुर पर निशाना साधते हुए उन्होंने दोबारा पूछा कि पिछले चुनाव में उनका योगदान आखिर था क्या?”
हिमाचल बीजेपी में यह बयानबाजी ऐसे समय पर हो रही है जब विधानसभा चुनावों में अब डेढ़ साल से भी कम समय बचा है। पार्टी में यह सवाल उठने लगा है कि राज्य में संगठन का वास्तविक नेतृत्व किसके हाथों में होगा — क्या अनुभवी जयराम ठाकुर के पास यह जिम्मेदारी बनी रहेगी, या फिर हाईकमान किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगा?
जयराम ठाकुर के इन बयानों ने न केवल पार्टी के भीतर बहस छेड़ दी है, बल्कि यह संकेत भी दे दिया है कि हिमाचल की सियासत अब “नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा” के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व किसे जनता के बीच “सच्चा नेता” मानकर आगे बढ़ाने का फैसला करता है — अनुभव, जनाधार और संगठन से जुड़े जयराम ठाकुर को या फिर नए चेहरे और लोकप्रिय हस्तियों को।

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