हिमाचल में OPS पर बढ़ा सियासी तनाव: कर्मचारियों ने लगाया कांग्रेस-भाजपा पर धोखे का आरोप, आम आदमी पार्टी बोली—“पुरानी पेंशन बहाली तक संघर्ष जारी”


हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर जारी जंग एक बार फिर राजनीतिक गरमाहट के केंद्र में आ गई है। राज्य के लाखों कर्मचारी वर्षों से OPS लागू करवाने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन यह मुद्दा अब कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि कर्मचारियों के “विश्वासघात” का रूप ले चुका है। कर्मचारियों का कहना है कि सत्ता और विपक्ष—दोनों दलों ने OPS पर उन्हें बार-बार निराश किया है।



सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने चुनावी मंचों पर OPS बहाली के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद यह वादा फाइलों और समितियों में उलझकर रह गया। विधानसभा में OPS पर चलते टालमटोल ने कर्मचारियों के गुस्से को और भड़का दिया है। सरकार द्वारा लाए गए आधे-अधूरे विधेयक को कर्मचारी संगठनों ने “धोखा” बताया है। हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों के बावजूद सरकार के रुख में कोई ठोस बदलाव नज़र नहीं आ रहा है।

उधर, भाजपा भी इस मुद्दे पर केवल औपचारिक विरोध तक सीमित दिख रही है। पार्टी OPS विधेयक को पूरी तरह रद्द करने की मांग कर रही है, ताकि केंद्र सरकार पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में जमा हजारों करोड़ रुपये वापस करने का दबाव न बने। कर्मचारियों का आरोप है कि कांग्रेस और भाजपा—दोनों इस बात पर एकमत हैं कि हिमाचल के सरकारी कर्मचारी अनिश्चित बाजार आधारित पेंशन व्यवस्था के सहारे ही गुज़ारा करें।

इसी राजनीतिक खींचतान के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक बार फिर OPS बहाली के मुद्दे पर मजबूत दावा पेश किया है। पार्टी की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि OPS आंदोलन की शुरुआत 2012 में हुई थी, जब AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान से इस लड़ाई को आवाज़ दी थी—उस समय भी कांग्रेस और भाजपा दोनों NPS के समर्थन में खड़े थे।

AAP ने हिमाचल के कर्मचारियों के लिए अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि—

* OPS विधेयक को पूरी तरह, बिना देरी के, विधानसभा से पास करवाने के लिए हर स्तर पर दबाव बनाया जाएगा
* कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन जारी रखा जाएगा
* केंद्र सरकार पर दबाव डालकर NPS में जमा कर्मचारियों का पूरा पैसा सुरक्षित वापस दिलवाया जाएगा
* OPS की पूर्ण बहाली तक संघर्ष—किसी भी कीमत पर—जारी रहेगा

पार्टी का कहना है कि हिमाचल के कर्मचारियों को यह संदेश दिया जाना ज़रूरी है कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं। प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि पुरानी पेंशन सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि कर्मचारियों की मेहनत, उनके भविष्य और उनके बुज़ुर्गावस्था की सुरक्षा से जुड़ा हक है।

OPS बहाली को लेकर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर उफान पर है। कर्मचारी सड़क पर हैं, सरकार दबाव में है, और विपक्ष रणनीति खोज रहा है—इसी बीच आम आदमी पार्टी ने खुद को कर्मचारियों की लड़ाई का सबसे मुखर पक्ष बनाकर सियासी समीकरणों में नई हलचल पैदा कर दी है।